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आज के युवाओं में बढ़ रही है बहुत ही तेज़ी सेल्फ डेमेज डिसओडर की बीमारी लेती जा रही है बहुत ही गंभीर रूप

 

जयपुर । आज कल के यूवाओं में अच्छा दिखने का सुंदर दिखने का स्मार्ट दिखने का एक फितूर सा बन गया है आज हर कोई चाहता है की बस वही ही बेहतर दिखे आजकल के युवाओं ने अपनी जिंदगी ही कुछ ऐसे कर ली है कि वह खुद को हमेशा या तो बेहतर बनाना चाहते है या लोगों से कम समझ रहे होते हैं ।

टीनएज में बच्चे खुद को सबसे खूबसूरत देखना चाहते हैं। कभी खुद को टीवी में दिखाई देने वाले खूबसूरत चरित्रों की तरह महसूस करते हैं तो कभी किसी फेवरेट स्पोर्ट्स पर्सन की तरह एनर्जी से भरपूर दिखाना चाहते हैं। जिसके कारण उनमें सेल्फ इमेज डिस्टर्बेंस डिसऑर्डर विकसित होने लगता है।

 

इस तरह के डिसऑर्डर के शिकार सामान्यतः वो बच्चे होते हैं जिनके पैरेंट्स अपने बच्चों के सामने दूसरे बच्चों की बहुत ज्यादा तारीफ करते हैं। इससे उन बच्चों में इंफीरियरिटी कॉम्लेक्स घर कर जाता है और वो खुद को कमतर समझने लगता है। ऐसे में उसका ध्यान ऐसी कोशिशों की ओर जाता है जिनके जरिए वो खुद को बेहतर बना सके।

 

इससे बचने का एक आसान उपाय है कि माता-पिता बच्चों के लुक्स पर कमेंट करने की बजाय उनमें सकारात्मक ऊर्जा का विकास करें और ऐसी सॉफ्ट स्किल्स सिखाएं जो आसानी से सीखी जा सकती हों। इस एज में बच्चे छोटी-छोटी बातों और नुक्स को भी बहुत गंभीरता से लेने लगे हैं। खासतौर पर वे टीनएजर्स जो सीरियल्स या इमेजिनरी वर्ल्ड से प्रभावित होने लगते हैं।

 

ऐसे बच्चे दिन-रात अपने लुक्स के बारे में सोचते रहते हैं और धीरे.धीरे डिप्रेशन में चले जाते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों को उनकी पर्सनालिटी से जुड़ी अच्छी बातें बतानी चाहिए। उन्हें एहसास दिलाते रहें कि उनके व्यक्तित्व के आगे लुक्स के छोटे-मोटे करेक्शन कोई मायने नहीं रखते हैं। यह उनको मजबूत बनाता है और खुल कर जीने कि काला भी सिखाता है ।