कितनी तादात में चीन ने पाकिस्तान को दिए J-10C Fighter Jets ? क्या भारतीय राफेल को दे सकते है टक्कर, पढ़े रिपोर्ट
अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की एक हालिया रिपोर्ट में चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य संबंधों के बारे में अहम खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन पाकिस्तान को J-10C एडवांस्ड फाइटर जेट दे रहा है। ये सभी विमान अब पाकिस्तान एयर फ़ोर्स में शामिल हो चुके हैं। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां चीन लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत के साथ तनाव कम करने की बात करता है, वहीं वह साथ ही पाकिस्तान को इतनी बड़ी मात्रा में हथियार देकर दक्षिण एशिया में दबाव बनाने की रणनीति पर भी काम कर रहा है।
चीन पाकिस्तान को बड़ी सैन्य मदद दे रहा है
चीन ने पाकिस्तान को 36 J-10C अत्याधुनिक मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट देने का फैसला किया है। इनमें से 20 विमान मई 2025 तक डिलीवर कर दिए गए थे। ये विमान AESA रडार, लंबी दूरी की मिसाइलों और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस हैं। J-10C को पाकिस्तान एयर फ़ोर्स में शामिल किया गया है, जिससे उसकी हवाई ताकत काफी बढ़ गई है। इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान मिलकर JF-17 फाइटर एयरक्राफ्ट बना रहे हैं। चीन ने पाकिस्तान को आर्म्ड ड्रोन भी दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन के लिए एक "प्रेशर वाल्व" बन रहा है।
क्या J-10C राफेल का मुकाबला कर सकता है?
J-10C संभावित रूप से राफेल का मुकाबला कर सकता है, अगर वह राफेल को पहले डिटेक्ट करके उस पर फायर कर सके। 2025 की झड़प ने साबित कर दिया कि यह कोई कमजोर जेट नहीं है। हालांकि, अपने ट्विन-इंजन की विश्वसनीयता, युद्ध में साबित रिकॉर्ड, लंबी रेंज और ज़्यादा बहुमुखी मल्टी-रोल क्षमताओं (ग्राउंड अटैक, न्यूक्लियर, टोही) के कारण राफेल को बेहतर माना जाता है। ज़्यादातर पश्चिमी या स्वतंत्र विश्लेषण राफेल को 4.5 जेनरेशन के विमानों में सबसे ऊपर रखते हैं।
चीन शक्ति संतुलन बिगाड़ रहा है
यह सैन्य सहयोग दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। चीन भारत के साथ शांति की बात करता है, लेकिन पाकिस्तान को हथियार देकर वह भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाए हुए है। भविष्य में पाकिस्तान में चीनी सैन्य ठिकानों की संभावना भी जताई गई है, जिससे चीन की पहुंच भारत के और करीब आ सकती है।
चीन दोहरी रणनीति अपना रहा है
चीन भारत के साथ लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है। अक्टूबर 2024 में दोनों देशों के बीच एक डिसएंगेजमेंट समझौते के बाद सीमा पर शांति की दिशा में कदम उठाए गए हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन इसका फायदा उठाकर भारत के साथ संबंधों को स्थिर करना चाहता है, ताकि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और गहरा न हो। हालांकि, इसके साथ ही, भारत में चीन की मंशा को लेकर शक बना हुआ है, और अंदरूनी अविश्वास के कारण संबंध जटिल बने रहने की संभावना है।