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किडनी के लिए बहुत फायदेमंद है ये आसन, जानिए लाभ

 

जयपुर. ये पूरे विश्व में सिद्ध हो चुका है कि योग से शरीर की कोई भी बिमारी को ठीक किया जा सकता है। इसमे हर रोग का इलाज छुपा है। बस करने वाले का दृढ संकल्प होना चाहिए। योग के कई आसनों में से एक है भुजंगासन। संस्कृत के शब्द भुजंग का अर्थ होता है सर्प और आसन का अर्थ है स्थिति। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी सर्प की तरह लचीली हो जाती है और शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। इसीलिए इस आसन को भुजंगासन कहा जाता है। यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है। आइए जानते है भुजंगासन के बारे में…….

इस प्रकार करे ये आसन

समतल जमीन पर आसन बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। सांस सामान्य रहे और शरीर की मांसपेशियों के शिथिल होने तक इस स्थिति में लेटें। माथे को जमीन पर और हाथों को कंधों के पास इस तरह से टिकाएं कि कोहनियां पीछे की तरफ शरीर के पास आ जाएं। टांगों और पैरों को सीधा रखते हुए आपस में मिला लें। धीरे-धीरे सांस भरें और हाथों को जमीन पर अच्छी तरह से टिकाते हुए कंधों के सहारे नाभि तक के हिस्से को इस प्रकार ऊपर की तरफ उठाएं कि छाती सामने की ओर आ जए। गर्दन को पीछे की तरफ करते हुए ऊपर आकाश की ओर देखने का प्रयास करें। इस स्थिति में यथाशक्ति रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में लौट आएं।

भुजंगासन से मिलते है ये लाभ

छाती, पीठ, गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाता है।

गले में स्थित ग्रंथियों को सशक्त कर शरीर को ऊर्जावान बनाता है।

किडनी के लिए लाभप्रद है।

तनाव व थकान को दूर करता है.

हृदय और फेफड़ों के लिए विशेष लाभप्रद है।

पेट के सभी आंतरिक अंगों को सशक्त और सक्रिय करता है।

आसन की शुरूआत करने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर ले. साथ यह योग किसी प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में ही करे।