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क्या मोटापे से कमज़ोर होती है हमारी याददाश्त? जानिये इसके बारे में

 

जयपुर। लोगों का मानना है कि मोटापा सौ बीमारियों की एक बीमारी है। इससे कई तरह की बीमारीयां हो सकती है।  इससे ब्लड प्रेशर की शिकायत हो जाती है, आप चलने-फिरने से, शुगर का बढ़ने जैसी कई बीमारीयां हो जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि मोटापा याददाश्त कमज़ोर करता है। शायद आपको इस बात का कोई इल्म नहीं होगा है  कि अल्ज़ाइमर जैसी बीमारी को भी जन्म देता है। जी हां वैज्ञानिकी रिसर्च साबित भी करती है कि मोटापे और याददाश्त में दो-तरफ़ा रिश्ता होता है। दोनों आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर लूसी चेक ने इस विषय पर अपने लैब प्रयोग किया है और इसका नाम था ट्रेजर हंट।  वैज्ञानिकों ने जिन प्रतिभागियों का बीएमआई (BMI) ज़्यादा था, उनकी याददाश्त ज़्यादा कमज़ोर थी।  जानकारी के लिए बता दे कि बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) यानि लंबाई के मुताबिक वज़न का होना। ऐसे ही अमरीका की बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन ने इसी विषय पर भी एक रिसर्च की थी। जिसके नतीजे में पाया गया कि अधेड़ उम्र के ऐसे लोग, जिनके पेट पर चर्बी ज़्यादा थी उनका ज़हन दुबले-पतले अधेड़ उम्र वालों के मुक़ाबले ज़्यादा कमज़ोर होता है। वैज्ञानिकों ने यादाश्य के लिए बढ़ते-घटते वज़न और खाने की आदतों पर ध्यान दिया गया।

इसके उदाहरण के तौर पर बता दे कि जानवर जितना खाते हैं, वो उतनी ही कैलोरी खर्च भी करते रहते हैं। ऐसे ही वैज्ञानिकों ने हमारे दिमाग़ को कैसे असर होता है। इसके लिए 500 लोगों पर एक स्टडी की इसमें पाया गया कि मोटापे और उम्र में भी आपस में ताल्लुक़ है और कम उम्र वालों के मोटापे का उनके दिमाग पर कम असर पड़ता है। प्रोफेसर लूसी चेक बताती है कि मोटापा से हाई ब्लड प्रेशर और इंसुलिन की समस्या भी बढ़ जाती है। इसकी वजह से खाने की आदतों में भी फ़र्क़ पड़ता है और अंत में इससे भी दिमाग पर असर पड़ता है। इ इसका कनेक्शन इंसुलिन एक अहम न्यूरोट्रांसमीटर है।