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भांग जिसको नशीला पदार्थ समझते रहे करेगा वह कैंसर के इलाज़ में सहायता

 

 

जयपुर । भांग जिसको ज़्यादातर लोग नशीला पदार्थ , मादक पदार्थ समझते हैं । भांग जो की असल में एक जंगली  पौधा है । इसकी कई जगहों पर खेती भी की जाती है जो की अवैध मानी जाती आई । लोग इसका उपयोग नशा करने के लिए करते हैं । इतना ही नही कई जगहों पर बच्चे भी इसका उपयोग नशा करने के लिए करते हैं ।

पर अब यह नशीली वस्तु ही जानलेवा बीमारी कैंसर के इलाज़ में मददगार साबित होने जा रही है । इतना ही नही इसकी खेती के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मंजूरी भी देदी है । आप सोच रहे होंगे  की यह मामला क्या है । आइये हम आपको बताते हैं कैसे मददगार साबित हो रही है ये भांग कैंसर के इलाज़ में ।

आयुष मंत्रालय की संस्था ‘सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस’ द्वारा भांग की मदद से कैंसर उपचार की दवा तैयार करने का दावा किया था। यह सरकार का पायलट प्रोजेक्ट था, जो काफी हद तक सफल भी रहा।

सूत्रों के अनुसार भांग से तैयार दवा को मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में भर्ती मरीजों पर आजमाया गया। उन्होंने बताया था कि इसका उपयोग कैंसर के उन मरीजों पर किया जाता है जिनको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी गई हो। असल में थेरेपी के बाद मरीज को असहनीय दर्द, नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना, डायरिया और एंजायटी की समस्या रहती है। इन परिस्थितियों में यह दवा कारगर है। भांग से तैयार इस दवा को चेक करने के लिए इसका एक अध्ययन चूहों पर किया गया, जिससे पता चला कि भांग की सहायता से कैंसर की बीमारी का उपचार में भी किया जा सकता है।

इस औषधीय पौधे का इस्तेमाल कई तरह की दवाएं बनाने में भी किया जाता है। कैंसर, मिर्गी और स्किल सेल रोग का उपचार भांग से तैयार दवाओं ने अपना कमाल का असर दिखाया है। इस पौधे से तैयार दवा कैंसर की मरीजों को भूख बढ़ने, चिड़चिड़ापन कम करने, उल्टी जैसी परेशानियों से निजात दिलाने के साथ-साथ कैंसर मरीजों के मूड को भी बेहतर बनाने में मदद करेगी। भांग से बनी दवा का इस्तेमाल कई अन्य मानसिक बीमारियों को दूर करने में किया जा सकता है।

Note :- इसका उपयोग सिर्फ विशेषज्ञों के दवारा किया जाना ही सही है । अपनी मर्जी से इसका सेवन नही करें । इससे आपको जान की हानी भी हो सकती हैं ।

 

सूत्रों के अनुसार भांग से तैयार दवा को मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में भर्ती मरीजों पर आजमाया गया। उन्होंने बताया था कि इसका उपयोग कैंसर के उन मरीजों पर किया जाता है जिनको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी गई हो। असल में थेरेपी के बाद मरीज को असहनीय दर्द, नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना, डायरिया और एंजायटी की समस्या रहती है। ऐसे में यह दवा कारगर है।