रोशनी बढ़ाने से लेकर दर्द मिटाने तक, आंखों के लिए आयुर्वेदिक वरदान है 'बिदालिका'
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मोबाइल या लैपटॉप-डेस्कटॉप स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने की वजह से आंखों की कई समस्याएं आम हो गई हैं। आंखों की थकान हो या दर्द, भारत सरकार का आयुष मंत्रालय आंखों की समस्याओं को दूर करने में कारगर आयुर्वेदिक पद्धति बिदालिका के बारे में जानकारी देता है।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं बिदालिका या बिडालक आंखों को पोषण देने और उनकी रक्षा करने का एक प्रभावी आयुर्वेदिक तरीका है, जो आंंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
बिदालिका आयुर्वेद की 'क्रियाकल्प' पद्धति का हिस्सा है। इसमें औषधीय जड़ी-बूटियों से बना पेस्ट तैयार किया जाता है और इसे पलकों को छोड़कर आंखों की बाहरी सतह पर लगाया जाता है। यह लेप एक निश्चित मोटाई में लगाकर तय समय तक रखा जाता है, फिर हटा दिया जाता है। बिदालिका मुख्य रूप से आंखों की सूजन और दर्द में राहत के लिए किया जाता है।
बिदालिकाआंखों में दर्द, जलन और सूजन को कम करता है। पित्त दोष को शांत करता है और ठंडक प्रदान करता है। स्टाई (अंजननामिका), कंजंक्टिवाइटिस, ब्लेफेराइटिस जैसी समस्याओं में राहत देता है। दृष्टि को बेहतर बनाने में मदद करता है, रोशनी बढ़ाने और रिफ्रैक्टिव एरर्स को मैनेज करने में उपयोगी होता है। आंखों की थकान, लालिमा और फोटोफोबिया जैसी शिकायतों को दूर करता है। यह सूजन वाली बीमारियों जैसे डैक्रियोसिस्टाइटिस, होर्डियोलम में भी फायदेमंद है।
नियमित बिदालिका से आंखें स्वस्थ और मजबूत रह सकती हैं। इस उपचार का प्रभाव सीधे आंखों तक पहुंचता है, जिससे तुरंत राहत मिलती है। कई रिसर्च में इसे बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस और अन्य नेत्र रोगों में प्रभावी पाया गया है, हालांकि आयुर्वेदाचार्य बिदालिका के लिए कुछ सावधानियां भी बरतने की सलाह देते हैं।
इसे हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करवाएं। खुद से न आजमाएं। साथ ही आंखों में घाव, चोट या गंभीर बीमारियां जैसे ग्लूकोमा, रेटिनल डिसऑर्डर होने पर इसे न करें। बिदालिका के बाद आंखों को आराम दें, तेज रोशनी या स्क्रीन से दूर रहें।
--आईएएनएस
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