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गर्भावस्था के दौरान पेरासीटमोल का सेवन कर सकता है आपके बच्चे की आईक्यू

 

 

जयपुर । जब भी कोई महियाला माँ बनती है तो उसको कई तरह की परेशानियाँ झेलनी पड़ती है । वह ना सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक  रूप से भी परेशानी उठानी पड़ती है। यह समय ऐसा होता है जब कई तरह की बीमारियाँ बहूटी जल्द गर्भवती महिला को जकड़ लेती है । ज्यादा तर थकान बुखार की परेशानी ऐसे समय में परेशान करती है ।

सीसे में महिलाएं इस परेशानी से निपतने के लिए पेरासीटमोल  का सहारा लेती है । पर ज़्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है की इसका सेवन भी आने वाले बच्चे को परेशानी दे सकता है । आइये जानते हैं क्या हो सकता है इसके कारण ?

प्रेग्नेंसी में लिए गए पारासिटामॉल का असर आने वाले बच्चे पर पड़ता है। एक रिसर्च के अनुसार गर्भवती महिला के असीटमिंफिन  लेने का असर बच्चे के व्यवहार पर 6 महीने से लेकर 11 साल तक रहता है। रिसर्च में उनके याद रखने की क्षमता और आइक्यू को 17 साल तक चेक किया गया। असीटमिनफिन पैरासिटामॉल के नाम से भी जाना जाता है।

यह टिलीनॉल और पेनाडॉल ब्रैंड नेम से बाजार में उपलब्ध होता है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द से राहत के लिए महिलाएं इसे लेती हैं।रिसर्चर्स ने 14 हजार बच्चों पर रिसर्च किया था। इनमें से 43 प्रतिशत बच्चों की मां ने बताया कि उन्होंने गर्भावस्था के दौरान कभी न कभी असीटमिनफिन लिया था। रिसर्चर्स ने बच्चों की मेमरी, आइक्यू , प्री-स्कूल डिवेलपमेंट टेस्ट और टेंपरामेंट बिहेविअर को देखा गया।

प्रेग्नेंसी में लिए गए पारासिटामॉल का असर आने वाले बच्चे पर पड़ता है। एक रिसर्च के अनुसार गर्भवती महिला के असीटमिंफिन  लेने का असर बच्चे के व्यवहार पर 6 महीने से लेकर 11 साल तक रहता है। रिसर्च में उनके याद रखने की क्षमता और आइक्यू को 17 साल तक चेक किया गया। असीटमिनफिन पैरासिटामॉल के नाम से भी जाना जाता है। गर्भावस्था के दौरान पेरासीटमोल का सेवन कर सकता है आपके बच्चे की आईक्यू