Harvards के साइकोलोजिस्ट ने सुसाइड पर किया बड़ा खुलासा, जाने किन पेशों में आत्महत्या का सबसे अधिक खतरा, देखें पूरी लिस्ट
नई दिल्ली। आत्महत्या (Suicide) दुनिया भर में एक गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के मशहूर मनोवैज्ञानिक और प्रोफेसर डॉ. मैथ्यू नॉक (Dr. Matthew Nock) ने इस विषय पर चौंकाने वाले तथ्य साझा किए हैं। डॉ. नॉक, जो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल और डेवलपमेंटल रिसर्च लैबोरेटरी के निदेशक भी हैं, ने बताया कि कुछ पेशे ऐसे हैं जिनमें काम करने वाले लोगों में आत्महत्या का खतरा बाकी समाज की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है। उनके अनुसार, अमेरिका में लगभग 15 प्रतिशत लोग आत्महत्या के बारे में सोचते हैं। इनमें से एक-तिहाई लोग कभी-न-कभी आत्महत्या का प्रयास भी करते हैं। दुखद यह है कि जो लोग एक बार आत्महत्या का प्रयास करते हैं और बच जाते हैं, उनमें से हर पांच में से एक व्यक्ति दोबारा आत्महत्या की कोशिश करता है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि ज्यादातर लोग जो बच जाते हैं, वे तुरंत पछतावा करते हैं।
आत्महत्या के सबसे अधिक खतरे वाले पेशे
डॉ. नॉक ने स्पष्ट किया कि आत्महत्या का खतरा हर पेशे में समान नहीं होता। कुछ खास पेशों में काम करने वालों पर यह संकट ज्यादा हावी होता है, खासकर वहां जहां लोगों की पहुँच घातक साधनों (Lethal Means) तक आसानी से हो जाती है। उनके अनुसार सबसे ज्यादा जोखिम वाले पेशे निम्नलिखित हैं:
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पुलिस अधिकारी (Police Officers)
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फ़र्स्ट रिस्पॉन्डर्स (First Responders) – जैसे फायर फाइटर्स और मेडिकल इमरजेंसी कर्मचारी
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डॉक्टर्स (Physicians)
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सैनिक (Soldiers)
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सर्विस मेंबर्स (Service Members)
क्यों बढ़ा रहता है आत्महत्या का खतरा?
डॉ. नॉक ने इसके पीछे तीन प्रमुख कारण बताए:
1. घातक साधनों तक आसान पहुँच: पुलिस, सेना और डॉक्टरों जैसे पेशों में लोग ऐसे साधनों के संपर्क में रहते हैं जिनसे आत्महत्या करना आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए – पुलिस और सैनिकों के पास हथियार रहते हैं, वहीं डॉक्टरों के पास शक्तिशाली दवाएँ होती हैं।
2. तनावपूर्ण और आघातपूर्ण कार्य परिस्थितियाँ: पुलिस अधिकारियों और सैनिकों को रोज़ाना खतरनाक हालात, अपराध, हिंसा और तनावपूर्ण घटनाओं का सामना करना पड़ता है। इसी तरह डॉक्टर और नर्सें लगातार गंभीर बीमारियों और मौत से जूझते मरीजों के बीच रहते हैं। यह माहौल मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है।
3. जनसांख्यिकीय कारक (Demographic Factors) :डॉ. नॉक ने बताया कि महिला पुलिस अधिकारियों पर आत्महत्या का खतरा और भी अधिक रहता है। यह खतरा उनकी उम्र, जाति या नस्ल से इतर बना रहता है।
आंकड़ों से समझें समस्या की गंभीरता
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डॉ. नॉक ने कहा कि न्यूयॉर्क सिटी पुलिस अधिकारियों में आत्महत्या का ग्राफ एक समय अचानक बहुत ऊपर गया था।
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महिलाओं में यह खतरा और भी ज्यादा है क्योंकि उन्हें मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव दोनों का सामना करना पड़ता है।
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डॉक्टर और हेल्थकेयर वर्कर्स में आत्महत्या का प्रतिशत सामान्य लोगों से काफी अधिक दर्ज किया गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका
डॉ. नॉक ने चर्चा में नई तकनीकों, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में भी बात की। उनका मानना है कि मशीन लर्निंग और एआई के जरिए आत्महत्या के पैटर्न को समझना और जोखिम का पूर्वानुमान लगाना संभव हो सकता है। लेकिन उन्होंने इस पर चेतावनी भी दी –
“एआई इंसान नहीं है। यह कई बार बड़े पैमाने पर गलतियाँ करता है। ऐसे में यदि मानसिक स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दों पर केवल एआई पर भरोसा किया गया तो स्थिति खतरनाक हो सकती है।”
यानी, एआई को हेल्पिंग टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन मानव विशेषज्ञों की भूमिका बेहद ज़रूरी है।
नीति और संस्थागत कदमों की ज़रूरत
डॉ. नॉक के सुझाव स्पष्ट हैं कि सरकारों और संस्थानों को दो बड़े कदम उठाने होंगे:
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घातक साधनों की पहुँच कम करना: जिन पेशों में लोगों की हथियारों या घातक दवाओं तक आसान पहुँच है, वहां इस पर सख्त नियंत्रण जरूरी है।
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एआई आधारित टूल्स को सावधानी से अपनाना: मशीन लर्निंग और एआई के इस्तेमाल से आत्महत्या के मामलों की रोकथाम में मदद मिल सकती है, लेकिन इसे लागू करने से पहले कड़े परीक्षण और मानवीय निगरानी ज़रूरी होगी।
समाज के लिए सबक
डॉ. नॉक की यह रिसर्च न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया के हर देश के लिए चेतावनी है। भारत जैसे देशों में भी पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों और सैनिकों में आत्महत्या की खबरें अक्सर आती हैं। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अब भी गंभीरता की कमी है। विशेषज्ञों का मानना है कि –
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काउंसलिंग और मेंटल हेल्थ सपोर्ट को अनिवार्य करना होगा।
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वर्क-लाइफ बैलेंस और आराम को प्राथमिकता देनी होगी।
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आत्महत्या को लेकर समाज में फैली चुप्पी और कलंक (Stigma) को तोड़ना होगा।
हार्वर्ड के मनोवैज्ञानिक डॉ. मैथ्यू नॉक की यह चेतावनी साफ करती है कि आत्महत्या का खतरा कुछ खास पेशों में कहीं ज्यादा गहराई से मौजूद है। पुलिस, डॉक्टर, सैनिक और अन्य फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स रोज़ाना ऐसे हालात का सामना करते हैं जो उनकी मानसिक सेहत को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। अब वक्त आ गया है कि संस्थाएँ और सरकारें मिलकर ठोस कदम उठाएँ। आत्महत्या की रोकथाम सिर्फ व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। तकनीक, सही नीतियों और मानवीय संवेदनशीलता के जरिये ही इस संकट को कम किया जा सकता है।