×

इस धनतेरस अपनाएँ धन्वतरि के जीवन विज्ञान को

 

 

जयपुर । आज धनतेरस हैं । आज के दिन भगवान धन्वन्तरी की पुजा की जाती आई । भगवान धन्वन्तरी आयुर्वेद के देवता कहे जाते हैं । आयुर्वेद यानि जीवन का विज्ञान , जो की हमको आयुष्मान होने का वरदान देता है । ज्यादातर लोग इस दिन को पैसों , धन , दौलत  , सोना चाँदी , घर गाड़ी से ही जोड़ कर देखते हैं । उनको लगता है की यही ही सब अच्छे जीवन के लिए जरूरी होता है ।

जबकि आज के समय में किसी को सबसे ज्यादा जरूरत किसी चीज़ की है तो वह सिर्फ एक ही चीज़ है जो की है अच्छा स्वास्थ्य । जो की आज किसी के भी पास नही है । रोजाना के जीवन की भागदौड़ के बीच लोगों का स्वस्थ जीवन जैसे कहीं खो सा गया है । ऐसे में आज हम आपको भगवान धन्वन्तरी के कुछ नियमों के द्वारा आयुष्मान होने का वरदान पाने का तरीका बताने जा रहे हैं । आइये जानते हैं क्या है ये ?

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के तीन मुख्य तत्व या प्रकृति होती है- वात, पित्त और कफ। शरीर में जब भी इन तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है, व्यक्ति बीमार हो जाता है। इससे बचने के लिए ऐसा खाना खाने की सलाह दी जाती है जो जल्दी पच जाता हो और पोषक तत्वों से भरपूर हो। साथ ही, नियमित रूप से संतुलित आहार लेने पर भी जोर दिया गया है।

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन में 6 रस शामिल होने चाहिए। ये 6 रस हैं- मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), अम्ल (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला)। शरीर की प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्त्वों का असंतुलन नहीं होता।

 

भगवान धन्वन्तरी आयुर्वेद के देवता कहे जाते हैं । आयुर्वेद यानि जीवन का विज्ञान , जो की हमको आयुष्मान होने का वरदान देता है । ज्यादातर लोग इस दिन को पैसों , धन , दौलत  , सोना चाँदी , घर गाड़ी से ही जोड़ कर देखते हैं । उनको लगता है की यही ही सब अच्छे जीवन के लिए जरूरी होता है ।रोजाना के जीवन की भागदौड़ के बीच लोगों का स्वस्थ जीवन जैसे कहीं खो सा गया है । इस धनतेरस अपनाएँ धन्वतरि के जीवन विज्ञान को