Vikram-32: भारत का पहला इंडिजिनस प्रोसेसर जो गेमिंग, एआई और डिजिटल इंडिया की राह को देगा नया आयाम
भारत लंबे समय से सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर सेवाओं का वैश्विक केंद्र रहा है, लेकिन हार्डवेयर, खासकर माइक्रोप्रोसेसर निर्माण के लिए यह अब तक विदेशों पर निर्भर था। अब देश का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर विक्रम 3201 बनकर तैयार हो गया है। यह देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। साथ ही आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अहम कदम भी। अब इस दिशा में भारत को विश्व मानचित्र पर एक अलग नज़रिए से देखा जा रहा है। आइए इसी बहाने जानते हैं कि माइक्रो-प्रोसेसर क्या है? यह क्यों ज़रूरी है? यह भारत के लिए कैसे गेम चेंजर साबित होगा? भारत अब तक इसे कहाँ से मँगवाता रहा है? इसका इस्तेमाल कहाँ होता है?
माइक्रो-प्रोसेसर क्या है, यह क्यों खास है?
माइक्रो-प्रोसेसर एक तरह का दिमाग होता है जो कंप्यूटर, मोबाइल, ऑटोमोबाइल, रक्षा उपकरण, स्मार्ट डिवाइस और यहाँ तक कि घरेलू उपकरणों को भी नियंत्रित करता है। यह लाखों छोटे इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजिस्टरों से मिलकर बना होता है और किसी भी कार्य को करने के लिए डेटा की गणना, नियंत्रण और प्रोसेसिंग करता है। सरल शब्दों में, अगर हार्डवेयर एक शरीर है तो माइक्रोप्रोसेसर उसका दिमाग है। यह मशीन को बताता है कि क्या काम करना है और कैसे करना है। इसीलिए इसे सामरिक और तकनीकी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
भारत का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर
आईआईटी मद्रास और आईआईटी बॉम्बे जैसे शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों ने मिलकर भारत का पहला स्वदेशी प्रोसेसर विकसित किया है। इसे शक्ति (आईआईटी मद्रास) और म्यूजिक (आईआईटी बॉम्बे) नामों से विकसित किया गया है। दोनों ने विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग के लिए माइक्रो-प्रोसेसर डिज़ाइन किए हैं।
शक्ति प्रोसेसर परिवार: इसे कम-शक्ति वाले उपकरणों से लेकर औद्योगिक नियंत्रकों और उच्च-प्रदर्शन सर्वरों के लिए विकसित किया गया है। यह ओपन-सोर्स आर्किटेक्चर RISC-V पर आधारित है, ताकि भारत को किसी विदेशी लाइसेंस पर निर्भर न रहना पड़े।
म्यूजिक प्रोसेसर: यह एक मल्टी-कोर प्रोसेसर है जिसका उपयोग उच्च-क्षमता वाली कंप्यूटिंग में किया जाएगा। विशेष रूप से एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकों के लिए, इसे भविष्य के लिए आवश्यक माना जा रहा है।
यह कहाँ उपयोगी होगा?
भारत में निर्मित माइक्रो-प्रोसेसरों के उपयोग की संभावनाएँ व्यापक और क्रांतिकारी हैं। यह कई क्षेत्रों में उपयोगी होने वाला है।
रक्षा क्षेत्र: इसका उपयोग मिसाइल मार्गदर्शन प्रणाली, रडार, ड्रोन और संचार प्रणालियों में किया जाएगा। विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम होगी और सुरक्षा बढ़ेगी।
ऑटोमोबाइल उद्योग: यह इलेक्ट्रिक वाहनों और स्मार्ट कारों की नियंत्रण प्रणाली में उपयोगी साबित होगा। इससे ऑटोमोबाइल की लागत कम होगी और तकनीक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होगी।
स्मार्टफोन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स: स्वदेशी प्रोसेसर भारत में बने मोबाइल, टीवी, स्मार्ट घड़ियों, IoT उपकरणों आदि को शक्ति प्रदान करेंगे।
सुपरकंप्यूटिंग और डेटा सेंटर: यह डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कार्यों में सहायक होगा। डिजिटल इंडिया और 5G/6G अनुप्रयोगों को समर्थन मिलेगा।
शिक्षा और अनुसंधान: इंजीनियरिंग संस्थानों में अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाएगा। स्टार्टअप्स को हार्डवेयर नवाचार के अधिक अवसर मिलेंगे।
यह कैसे काम करता है?
प्रोसेसर इनपुट (डेटा/कमांड) लेता है।
इसके अंदर मौजूद ट्रांजिस्टर तर्क और गणनाओं के आधार पर डेटा को प्रोसेस करता है।
परिणाम को आउटपुट के रूप में भेजता है।
शक्ति और म्यूसिक जैसे भारतीय प्रोसेसर आधुनिक आर्किटेक्चर पर आधारित हैं, जिसमें उच्च गति की गणना, कम ऊर्जा खपत और सुरक्षा सुविधाएँ शामिल हैं। इनमें कस्टमाइज़ेशन की सुविधा भी उपलब्ध है, यानी ज़रूरत के हिसाब से इन्हें अलग-अलग इस्तेमाल के लिए बदला जा सकता है।
भारत अब तक कहाँ से खरीद रहा था?
भारत अब तक मुख्य रूप से अमेरिका, ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया से प्रोसेसर और चिप्स आयात करता रहा है। भारत इस आयात पर हर साल अरबों डॉलर खर्च करता रहा है।
अमेरिका: इंटेल, एएमडी, क्वालकॉम जैसी कंपनियाँ प्रोसेसर बनाने में अग्रणी हैं।
ताइवान: दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी टीएसएमसी यहीं स्थित है, जो एप्पल, एनवीडिया जैसे ब्रांडों के लिए चिप्स बनाती है।
दक्षिण कोरिया: सैमसंग उच्च-प्रदर्शन चिप्स में अग्रणी है।
जापान: उच्च-गुणवत्ता वाली इलेक्ट्रॉनिक सामग्री और माइक्रोकंट्रोलर की आपूर्ति करता है।