आखिर दुनिया में कैसे शुरू हुआ था SMS भेजने का सिलसिला ? जानिए कब किसने और किसको भेजा था दुनिया का पहला मैसेज
टेक न्यूज़ डेस्क - इतिहास का पहला एसएमएस 3 दिसंबर 1992 को भेजा गया था। 22 वर्षीय इंजीनियर नील पापवर्थ ने वोडाफोन नेटवर्क के जरिए अपने एक साथी कर्मचारी के फोन पर 'मेरी क्रिसमस' का संदेश भेजा था। इसके लिए एक पर्सनल कंप्यूटर का इस्तेमाल किया गया था। पापवर्थ ने यह संदेश तब भेजा था जब वह अब बंद हो चुकी एंग्लो-फ्रेंच आईटी सेवा कंपनी सेमा ग्रुप टेलीकॉम्स के लिए काम करते थे। उस समय वह ब्रिटिश दूरसंचार कंपनी वोडाफोन यूके के लिए शॉर्ट मैसेज सर्विस सेंटर (एसएमएससी) पर काम करने वाली टीम का हिस्सा थे।
किसने भेजा पहला संदेश और किसे
पहला टेक्स्ट 32 साल पहले भेजा गया था। भले ही आज हम पल भर में इमोजी शेयर कर सकते हैं। वीडियो और फोटो शेयर कर सकते हैं, लेकिन उस समय एसएमएस भेजना बहुत बड़ी बात थी। 22 साल के एक लड़के ने पहला संदेश अपने सहकर्मी को भेजा था। पहला संदेश भेजने की कहानी को याद करते हुए पापवर्थ ने कहा कि, उस समय मैंने बिल्कुल नहीं सोचा था कि आने वाले सालों में यह सेवा इतनी लोकप्रिय हो जाएगी। उस समय मैं बस अपना ऑफिस का काम खत्म करके अपनी जानकारी अपने सहकर्मी को जल्द से जल्द भेजना चाहता था।
टेक्स्ट भेजने वाला पहला सेलफोन
पहला टेक्स्ट मैसेज भेजे जाने के एक साल बाद नोकिया ने एसएमएस सुविधा वाला पहला सेलफोन लॉन्च किया, लेकिन इसके जरिए सिर्फ 160 कैरेक्टर लंबे मैसेज ही भेजे जा सकते थे। यूनाइटेड किंगडम को एसएमएस का जन्मस्थान कहा जाता है। शुरुआती दिनों में यहां इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई थी। फरवरी 2001 तक हर महीने करीब एक अरब टेक्स्ट भेजे जा रहे थे और यूजर्स से प्रति टेक्स्ट 10 पेंस चार्ज किया जा रहा था। इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन के मुताबिक 2010 तक हर मिनट 200,000 टेक्स्ट मैसेज भेजे जा रहे थे, लेकिन 2012 तक दुनियाभर में टेक्स्टिंग में लगातार गिरावट देखी गई। इसका मुख्य कारण इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म माना जाता है। खास तौर पर, वॉट्सऐप जैसे ऐप ने टेक्स्ट मैसेज भेजने की जरूरत को खत्म कर दिया।
प्रतिदिन 100 एसएमएस
अब लगभग सभी टेलीकॉम कंपनियां अपने यूजर्स को प्रतिदिन 100 एसएमएस की सुविधा देती हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब एसएमएस के लिए भी रिचार्ज प्लान उपलब्ध थे। उस समय व्हाट्सएप नहीं था और यह इंटरनेट सेवा भी महंगी थी। तब एसएमएस लोगों के लिए बड़ा सहारा था।