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भारतीय टीम के सैटेलाइट इंटरनेट कॉन्सेप्ट ने जीता नासा का 2025 स्पेस ऐप्स चैलेंज

 

वाशिंगटन, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। नासा के '2025 इंटरनेशनल स्पेस ऐप्स चैलेंज' में एक भारतीय टीम ने पूरी दुनिया में पहला स्थान हासिल किया है। इस टीम ने एक खास सैटेलाइट इंटरनेट सिस्टम का आइडिया दिया है, जिससे देश के दूर-दराज के इलाकों में भी आसानी से और तेज इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा। इसकी जानकारी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दी।

चेन्नई की टीम ‘फोटोनिक्स ओडिसी’ को ‘मोस्ट इंस्पिरेशनल अवॉर्ड’ मिला है। इस टीम ने उपग्रह इंटरनेट को किसी निजी सेवा की बजाय देश की सार्वजनिक सुविधा के रूप में देखने का सुझाव दिया है।

इस परियोजना का मकसद भारत के उन करीब 700 मिलियन लोगों को इंटरनेट से जोड़ना है, जिनके पास अभी ब्रॉडबैंड की सुविधा नहीं है। नासा स्पेस ऐप्स के अनुसार, इस टीम में मनीष डी., एम. के., प्रशांत जी., राजालिंगम एन., राशि एम. और शक्ति आर. शामिल हैं।

नासाने कहा कि उसके प्रमुख ग्लोबल हैकाथॉन के 2025 एडिशन में 167 देशों और क्षेत्रों में 551 लोकल इवेंट्स में 114,000 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसे नासा की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और तकनीक से जुड़ी साझेदारियों में से एक माना गया।

विजेताओं का चयन 11,500 से ज़्यादा प्रोजेक्ट सबमिशन में से किया गया, जिनमें से विजेताओं का चयन नासा और उसके सहयोगी संगठनों के विशेषज्ञों ने किया।

नासा के अर्थ साइंस डिविजन की निदेशक कैरन सेंट जर्मेन ने कहा कि स्पेस ऐप्स चैलेंज नासा के खुले और मुफ्त डाटा को दुनिया भर के लोगों तक पहुंचाता है, ताकि वे नई खोज और समाधान कर सकें।

इस प्रतियोगिता में भारतीय मूल के छात्रों और प्रतिभागियों की मौजूदगी भी काफी मजबूत रही, जो वैश्विक विज्ञान और तकनीकी नवाचार में भारतीय प्रवासी समुदाय की सक्रिय भूमिका को दिखाती है।

‘बेस्ट यूज़ ऑफ डाटा अवॉर्ड’ अमेरिका की टीम ‘रेज़ोनेंट एक्सोप्लैनेट्स’ को मिला। इस टीम ने एआई पर आधारित एक प्रणाली बनाई है, जो दूरबीन और उपग्रहों से मिलने वाले बड़े डाटा का अपने आप विश्लेषण कर सकती है और नए ग्रहों की पहचान कर सकती है।

भारतीय मूल के प्रतिभागियों वाली एक और टीम ‘एस्ट्रो स्वीपर्स’ को ‘गैलेक्टिक इम्पैक्ट अवॉर्ड’ मिला। इस टीम में हर्षिव टी., प्रगाथी एस., प्रतीक जे., शेरलीन डी., यूसरा एच., और ज़ीनाब ई. शामिल रहे। इनका प्रोजेक्ट पृथ्वी की निचली कक्षा में बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़ी तकनीकी, कानूनी और पर्यावरणीय समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस ऐप्स चैलेंज की शुरुआत साल 2012 में हुई थी। यह नासा की वार्षिक वैश्विक प्रतियोगिता है, जिसका उद्देश्य लोगों को नासा के ओपन डेटा का उपयोग करके असली दुनिया की समस्याओं के समाधान खोजने के लिए प्रेरित करना है।

--आईएएनएस

एएस/