×

कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी पर आज इस विधि से करें पूजा, बनेंगे सारे बिगड़े काम

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी को खास माना गया है जो कि गणपति की साधना आराधना को समर्पित है इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूजन किया जाता है जो कि इस बार 25 जून दिन मंगलवार यानी की आज मनाई जा रही है इस दिन भक्त विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करते हैं माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं तो आज हम आपके लिए भगवान गणेश की संपूर्ण पूजा विधि लेकर आए हैं तो आइए जानते हैं। 

कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि—
आपको बता दें कि संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर भगवान का ध्यान करते हुए पूजा पाठ का संकल्प करें अब भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करें इस दिन केलव फल और दूध से बनी चीजों का ही सेवन करना चाहिए। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा के दौरान प्रभु को दूर्वा घास अर्पित करें पूजन के बाद भगवान को मोदक का भोग लगाएं और सभी में प्रसाद बांटें इसके बाद पूजा में होने वाली भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा मांगे। इस दिन श्री गणेश की आरती, चालीसा और मंत्रों का जाप जरूर करें ऐसा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। 

भगवान गणेश के पूजा मंत्र—

- ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा

- ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्

- गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌