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30 नवंबर को रखा जाएगा उत्पन्ना एकादशी व्रत, जानिए नियम और महत्व

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को विशेष और पुण्यदायी माना गया हैं एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन होता हैं हर मास में एकादशी के दो व्रत रखते हैं औश्र हर व्रत का अपना अलग महत्व होता हैं एकादशी का व्रत श्री हरि विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता हैं

इस साल मार्गशीर्ष मास की कृपा पाने के लिए रखा जाता हैं इस साल मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता हैं इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 30 नवंबर के दिन रखा जाएगा। इस दिन विधि विधान के साथ श्री विष्णु की पूजा अर्चना की जाती हैं एकादशी का व्रत रखने से जातक को मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त होती हैं और पापों का भी नाश हो जाता हैं, तो आइए जानते हैं। 

एकादशी का व्रत रखने से पहले उसके नियमों के बारे में पहले से जान लेना बेहद जरूरी हैं एकादशी के व्रत के नियमों का सही से पालन न किया जाए तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता हैं व्रत के निमयों का निष्ठा और श्रद्धा से पालन करने के बाद ही व्रत का पूरा फल मिलता हैं। 

जानिए उत्पन्ना एकादशी पूजा मुहूर्त— 

उत्पन्ना एकादशी आरंभ: 30 नवंबर 2021, मंगलवार प्रातः 04:13 बजे से शुरु होकर 

उत्पन्ना एकादशी समापन: 01 दिसंबर 2021, बुधवार मध्यरात्रि 02: 13 बजे तक 

पारण तिथि हरि वासर समाप्ति का समय: प्रातः 07:34 मिनट

द्वादशी व्रत पारण समय: 01 दिसंबर 2021, प्रातः 07:34 बजे से 09: 01 मिनट तक

मान्यता है कि एकादशी का व्रत दशमी तिथि की शाम सूर्यास्त के बाद से ही शुरू होता हैं और एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि पर समाप्त होता हैं इसलिए उत्पन्ना एकादशी के व्रत के दौरान व्रत नियम का विशेष ध्यान रखना जरूरी हैं दशमी तिथि पर सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें। इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करें और सात्विक और हल्का आहार लें। इसके साथ ही, ऐसा भी कहा जाता है कि जो लोग एकादशी के व्रत को शुरू करना चाहते हैं वे उत्पन्ना एकादशी के व्रत से शुरू कर सकते हैं।