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कल है गुरु पूर्णिमा का त्योहार, जानिए महत्व और पूजन विधि

 

जयपुर एस्ट्रो डेस्क: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता हैं इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता हैं कि गुरु वह हैं जो ज्ञान की गंगा बहाते हैं और अंधकार से प्रकाश की ओर लेकर जाते है। पूरे देश में यह पर्व बड़ी ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता हैं इस बार गुरु पूर्णिमा का त्योहार 24 जुलाई को पड़ रहा हैं, तो आज हम आपको गुरु पूर्णिमा के महत्व और पूजन विधि के बारे में बता रहे हैं। 

जानिए गुरु पूजन विधि—
इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि ​नित्यकर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए फिर व्यास जी के चित्र को सुगन्धित पुष्प या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाना चाहिए। उन्हें ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए। इसके बाद वस्त्र, फल, पुष्प व माला अर्पण कर कुछ दक्षिणा धन के रूप में भेंट करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। 


जानिए गुरु पूर्णिमा का महत्व—
पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, ऐसी मान्यता है वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर यह जान लिया था कि कलियुग में धर्म के प्रति लोगों की रुचि कम हो जाएगी। 

धर्म में रुचि कम होने के कारण मनुष्य ईश्वर में विश्वास न रखने वाला, कर्तव्य से विमुख और कम आयु वाला हो जाएगा। एक बड़े और सम्पूर्ण वेद का अध्ययन करना उसके बस की बात नहीं होगी। इसलिए महर्षि व्यास ने वेद को चार भागों में बांट दिया जिससे कि अल्प बुद्धि और अल्प स्मरण शक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन करके लाभ उठा सकें।