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रक्षाबंधन पर तिलक से लेकर राखी बांधने तक, जानिए संपूर्ण पारंपरिक पूजन विधि

 

जयपुर अध्यात्म डेस्क: हिंदू धर्म में वैसे तो सभी त्योहारों को खास महत्व दिया जाता हैं मगर रक्षाबंधन का पर्व विशेष होता हैं रक्षाबंधन इस साल सावन पूर्णिमा तिथि यानी 22 अगस्त दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस खास पर्व पर बहनें अपेन भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके सुखी व खुशहाल जीवन की कामना करती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पारंपरिक तरीके से राखी बांधने की संपूर्ण विधि बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

राखी बांधने की संपूर्ण विधि—
मान्यताओं के अनुसार माथे पर लाल चंदन, श्वेत चंदन, कुमकुम, हल्दी, भस्म आदि का तिलक लगाना शुभ होता हैं मगर रक्षाबंधन के पर्व में खासतौर पर चावल व कुमकुम का तिलक किया जाता हैं अक्षत को पवित्र माना जाता हैं इसलिए इसे पूजा पाठ व हवन आदि में देवी देवताओं को विशेषतौर पर अर्पित किया जाता हैं

इसका तिलक करने से शरीर में सकारात्मकता का संचार होता हैं साथ ही कच्चे चावल का तिलक जीत, मान सम्मान और वर्चस्व का प्रतीक कहलाता हैं। राखी की थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, दही, पुष्प, दीपक, राखी, मिठाई और भाई के लिए वस्त्र या रूमाल रखें। 

बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधने तक व्रत रखें। सबसे पहले भाई के माथे पर दही का तिलक करें। उसके बाद कुमकुम से भाई को टिका लगाएं। इसके बाद अक्षत और पुष्प लगाएं। थाली में दीपक जलाएं। फिर आंखें बंद करके भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करें। अब भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधकर उसकी आरती करें।

भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करवाएं। अगर बहन बड़ी हो तो भाई को उसके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन भाई को लकड़ी की कुर्सी या किसी चीज पर बिठाकर ही राखी बांधें। इस दौरान भाई का मुख पूर्व दिशा और आपका मुंह पश्चिम दिशा की ओर हो। 


 राखी बांधते वक्त बहन को भाई की मंगल कामना के लिए रक्षा सूत्र पढ़ना शुभ होता हैं ऐसे में आप भी महाभारत में वर्णित इस रक्षा सूत्र को पढ़ सकती हैं। 

"ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।:"