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शारदीय नवरात्रि: दांपत्य सुख के लिए करें महागौरी की पूजा

 

जयपुर। नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की पूजा की जाएगा। देवी महागौरी का नाम इनके गौर वर्ण के कारण पड़ा। देवी महागौरी ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त की जिसके कारण ये धूल मिट्टी से मलिन हो गई। तपस्या पूरी होने के बाद गंगाजल से स्नान कर अपने गौरवर्ण को प्राप्त किया जिसके कारण ये महागौरी कहलाई।

देवी महागौरी का आधिपत्य राहु ग्रह पर हैं। इसके साथ ही हमारी कुंड़ली में देवी महागौरी का संबंध छठे व आठवें घर से हैं। देवी महागौरी की पूजा करने से रोगों का नाश, दांपत्य सुख व दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है। देवी महागौरी सफ़ेद वस्त्र धारण किये श्वेत रंग के बैल की सवारी करती हैं। इनकी ऊपरी दाईं भुजा अभय मुद्रा से भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं, नीचे वाली दाईं भुजा में त्रिशूल पकडें हुए पूरे संसार पर अंकुश रखती है, ऊपरी बाईं भुजा में डमरू लिए है जो संसार का निर्वाहन करती हैं व नीचे वाली बाईं भुजा से देवी वरदान देती हैं।

पूजा विधि – घर के मंदिर में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर सफेद कपडें में महागौरी की मूर्ति स्थापित कर दशोपचार पूजन करें। देवी महागौरी को घी का दीप जलाएं, मोगरे की धूप जलाएं, सफेद व नीले फूल चढ़ाएं,चंदन का तिलक करें, दूध-शहद चढ़ाएं, व मावे की मिठाई का भोग लगाएं व भोग को कन्या को खिलाएं।

 

देवी महागौरी को प्रसन्न करने के लिए पढें इस मंत्र को – ॐ महागौर्यै देव्यै: नमः ॥