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नवमी पर कन्या पूजन से बदलेगा भाग्य

 

आपको बता दें कि ​नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के लोगो के लिए बहुत ही खास और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता हैं वही नवरात्रि की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा हैं, वही कुछ लोग अष्टमी की बजाय नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद उन्हें भोजन कराते हैं, वही आज हम आपको बताने जा रहे हैं नवमी तिथि पर कन्याओं को भोजन कराने का महत्व और इसके कुछ खास नियम, तो आइए जानते हैं।

जानिए नवमी पर कन्याओं को भोजन कराने के नियम—
बता दें कि नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं मानी जाती हैं यह नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का पर्व भी होता हैं। इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजन और भोजन कराने की विशेष परंपरा हैं, नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजन की परंपरा हैं मगर अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती हैं। वही दो से 11 साल की कन्या का पूजन करना शुभ माना जाता हैं यही विधान भी हैं।

जानिए कन्या पूजन की विधि—
एक दिन पूर्व ही कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें। वही गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारें लगाएं। वही अब इन कन्याओं को सम्मान के साथ बैठाएं। सभी के पैरों को दूध से भरे थाल में रखकर अपने हाथों धोंए।उसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत, पुष्प या कुकुम लगाएं। फिर मां भगवती का ध्यान करके इन कन्याओं को भोजन कराए। वही बाद में दक्षिण, उपहार दें और पुन पैर छूकर आशीष लें।

नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं माना जाता हैं यह नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का पर्व भी होता हैं। इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजन और भोजन कराने की विशेष परंपरा हैं, नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजन की परंपरा हैं मगर अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती हैं। दो से 11 साल की कन्या का पूजन करना शुभ माना जाता हैं नवमी पर कन्या पूजन से बदलेगा भाग्य