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नवरात्रि में घटस्थापना, अखंड ज्योत जलाने से पहले पढ़ें ये जरूरी नियम

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: नवरात्रि व्रत की शुरुआत आज यानी 7 अक्टूबर से हो चुकी हैं नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती हैं और अखंड ज्योत भी जलाई जाती हैं इस साल माता डोली में बैठकर आई हैं और माता का प्रस्थान हाथी पर होगा जो शुभ माना गया हैं इस बार नवरात्रि नौ की बजाय आठ ही दिनों के होंगें। इसका कारण यह है कि चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही हैं दशहरा 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा। तो आज हम आपको घटस्थापना और अखंड ज्योत जलाने के नियम बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

जानिए घटस्थापना की विधि—
आपको बता दें कि पूजा की शुरुआत घटस्थापना के साथ शुरू होती हैं घर में कलश स्थापना करने वाले लोग प्रतिपदा के दिन स्नान ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह के साथ कलश स्थापना करें। कलश के ऊपर रोली से ओम और स्वास्तिक बनाएं। कलश स्थापना के समय अपने पूजा गृह में पूर्व तरफ भूमि पर सात तरह के अनाज रखें। फिर जौ डालें और इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंक, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्प डालें। फिर ओम भूम्यै नम: कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें। अब भगवान श्री गणेश वक कलश की पूजा कर देवी मां का आह्वान करें। 


जानिए अंखड ज्योति के सही नियम—
आपको बता दें कि अंखड ज्योति को जमीन की बजाय किसी लकड़ी की चौकी पर रखकर जलाना चाहिए। ज्योति को रखने से पहले इसके नीचे अष्टदल बना लें। अंखड ज्योति को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। अंखड ज्योति को कभी अकेले छोड़कर या पीठ दिखाकर नहीं जाना चाहिए। ज्योत जलाने के लिए शुद्ध देसी घी का प्रयोग ही करना उचित माना जाता हैं।

अंखड ज्योति के लिए रूई की जगह कलावे का इस्तेमाल आप कर सकती हैं। अंखड ज्योति को नवरात्रि के नौ दिन भक्त मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत पूजन करते हैं अंखड ज्योति को मां दुर्गा के दाईं ओर रखें। वही नवरात्रि समाप्त होने पर ही इसे स्वयं ही समाप्त होने देना चाहिए। खुद से नहीं बुझाना चाहिए।