नवरात्रि में सुबह शाम करें भवानी अष्टकम का पाठ, संतान सुख का मिलेगा आशीर्वाद
ज्योतिष न्यूज़ डेस्कः देवी उपासना का महापर्व नवरात्रि 26 सितंबर दिन सोमवार से आरंभ हो चुका है और इसका समापन 5 अक्टूबर को हो जाएगा। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है जो देवी मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित है इस दिन भक्त मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करते हैं
नवरात्रि के दिनों में हर भक्त देवी मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ और उपवास करता है जिससे माता प्रसन्न होकर उनकी सभी मुरादें पूरी करें और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें अगर आप भी माता रानी को प्रसन्न कर उनकी कृपा चाहते हैं
तो आप शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार सुबह शाम भवानी अष्टकम का संपूर्ण पाठ करें इसका पाठ संतान सुख की प्राप्ति कराने वाला माना जाता है इसका पाठ करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है भवानी अष्टकम का संपूर्ण पाठ, तो आइए जानते हैं।
॥ भवानी अष्टकम ॥
न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥१॥
भवाब्धावपारे महादुःखभीरु
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः ।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥२॥
न जानामि दानं न च ध्यानयोगं
न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् ।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥३॥
न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थ
न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् ।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्गतिस्त्वं
गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥४॥
कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः ।
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥५॥
प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् ।
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥६॥
विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये ।
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥७॥
अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः ।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥८॥