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कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए जन्माष्टमी पर करें ये एक काम

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्कः हर किसी को धन दौलत की चाह होती है लेकिन हर किसी की ये इच्छा पूरी नहीं हो पाती है धार्मिक तौर पर माता लक्ष्मी को धन वैभव और समृद्धि की देवी माना गया है कहते हैं जिनसे माता रूठ जाती है उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन अगर देवी मां किसी पर मेहरबान हो जाए तो उसके जीवन में कभी भी धन दौलत की कमी नहीं होती है

ऐसे में जन्माष्टमी का दिन देवी मां को प्रसन्न करने के लिए बेहद ही उत्तम होता है मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी की रात भगवान श्रीकृष्ण और देवी मां लक्ष्मी की एक साथ विधिवत पूजा अर्चना करने के साथ अगर गोपाल स्तुति का पाठ किया जाए तो भगवान कृष्ण तो प्रसन्न होते ही है साथ ही माता लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती है क्योंकि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप है और श्री हरि माता लक्ष्मी के पति है

ऐसे में आज के दिन अगर पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ धन की देवी के साथ श्रीकृष्ण की पूजा और गोपाल स्तुति का पाठ किया जाए तो जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाएगी और आर्थिक व कर्ज से भी छुटकारा मिल जाएगा तो आज हम आपके लिए लेकर आए है गोपाल स्तुति का संपूर्ण पाठ, तो आइए जानते हैं। 
गोपाल स्तुति पाठ-

नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।
विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः॥1॥

नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।
कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः॥2॥
 
नमः कमलनेत्राय नमः कमलमालिने।
नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥3॥ 

बर्हापीडाभिरामाय रामायाकुण्ठमेधसे।
रमामानसहंसाय गोविन्दाय नमो नमः॥4॥ 

कंसवशविनाशाय केशिचाणूरघातिने।
कालिन्दीकूललीलाय लोलकुण्डलधारिणे॥5॥ 

वृषभध्वज.वन्द्याय पार्थसारथये नमः।
वेणुवादनशीलाय गोपालायाहिमर्दिने॥6॥

बल्लवीवदनाम्भोजमालिने नृत्यशालिने।
नमः प्रणतपालाय श्रीकृष्णाय नमो नमः॥7॥

नमः पापप्रणाशाय गोवर्धनधराय च।
पूतनाजीवितान्ताय तृणावर्तासुहारिणे॥8॥

निष्कलाय विमोहाय शुद्धायाशुद्धवैरिणे।
अद्वितीयाय महते श्रीकृष्णाय नमो नमः॥9॥

प्रसीद परमानन्द प्रसीद परमेश्वर।
आधि.व्याधि.भुजंगेन दष्ट मामुद्धर प्रभो॥10॥

श्रीकृष्ण रुक्मिणीकान्त गोपीजनमनोहर।
संसारसागरे मग्नं मामुद्धर जगद्गुरो॥11॥

केशव क्लेशहरण नारायण जनार्दन।
गोविन्द परमानन्द मां समुद्धर माधव॥12॥
॥ इत्याथर्वणे गोपालतापिन्युपनिषदन्तर्गता गोपालस्तुति संपूर्णम॥