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जानिए करवाचौथ व्रत के वो नियम, जो हर महिला को होने चाहिए पता

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: आज यानी 21 अक्टूबर दिन गुरुवार से कार्तिक मास आरंभ हो चुका हैं इसी मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का पर्व मनाया जाता हैं ये महिलाओं का बहुत बड़ा पर्व हैं पूरे साल महिलाएं इस त्योहार का इंतजार करती हैं इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए तप करती हैं और  निराहार व निर्जला व्रत रखती हैं।

वही रात में पूजा और चंद्र दर्शन के बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं इस बार करवाचौथ का पर्व 24 अक्टूबर को रविवार के दिन पड़ रहा हैं करवाचौथ व्रत वैसे तो महिलाओं का व्रत हैं मगर महिला के बीमार होने या किसी विशेष परिस्थिति में पुरुष भी इस व्रत को रख सकते हैं तो आज हम आपको करवाचौथ व्रत से जुड़े कुछ ऐसे नियम बता रहे हैं जो हर महिला को जरूर पता होने चाहिए, तो आइए जानते हैं। 


करवाचौथ व्रत नियम—
करवाचौथ व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती हैं उससे पहले महिला कुछ भी खा सकती हैं इसके लिए मन में संशय न रखें। इसलिए सूर्योदय से पूर्व तमाम घरों में सरगी खिलाई जाती हैं जिससे महिला को दिनभर की एनर्जी मिल सके। अगर महिला को पहले करवाचौथ व्रत में फलाहार खिला दिया है या जल ग्रहण करवा दिया हैं तो महिला अन्य करवाचौथ व्रत निराहार या निर्जल रह सकती हैं या फलाहार लेकर भी रह सकती हैं वैसे इस व्रत में चंद्रोदय तक जल नहीं पीया जाता हैं मगर महिला बीमार है तो जल ले सकती हैं। 

इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के अलावा वो कन्याएं भी रख सकती हैं जिनका विवाह तय हो चुका हैं मगर कुंवारी कन्याओं को चंद्र दर्शन नहीं करने चाहिए तारों को देखकर व्रत खोलना चाहिए। अगर किसी वर्ष में महिला बीमार है तो उसकी जगह करवाचौथ का व्रत उसका पति रख सकता हैं शास्त्रों में इसके बारे में बताया गया हैं आजकल तो पति का पत्नी के लिए करवाचौथ व्रत रखना भी चलन में आ गया हैं। व्रत वाले दिन कथा सुनना जरूरी हैं ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता हैं उनके घर में सुख, शांति, समृद्धि आती हैं और संतान सुख प्राप्त होता हैं।