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2 दिसंबर को है गुरु प्रदोष व्रत, जानिए व्रत नियम और महत्व

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही प्रदोष व्रत को शास्त्रों में श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया हैं ये व्रत शिव को समर्पित हैं और हर मास के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता हैं दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का महत्व भी अलग अलग होता हैं मार्गशीर्ष मास का कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 2 दिसंबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा। गुरुवार के दिन ये व्रत पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता हैं

प्रदोष व्रत शिव को अति ​प्रिय हैं इस व्रत को करने से शिव प्रसन्न होते हैं व सभी कष्टों को दूर करते हैं शास्त्र अनुसार प्रदोष व्रत को दो गायों के दान के समान पुण्यदायी माना गया हैं इस व्रत में शिव की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही की जाती हैं तो आज हम आपको प्रदोष व्रत का महत्व, व्रत विधि और इससे जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

व्रत का पूजन—
सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प करें। संभव हो तो दिन में आहार न लें। अगर नहीं रह सकते तो फलाहार ले सकते हैं शाम को प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले के समय में शिव पूजन करें। पूजन के लिए सबसे पहले स्थान को गंगाजल या जल से साफ करें। फिर गाय के गोबर से लीपकर उस पर पांच रंगों की मदद से चौक बनाएं।

पूजा के दौरान कुश के आसन का प्रयोग करें पूजन की तैयारी करके ईशानकोण यानी उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और शिव का ध्यान करें। पूजन के दौरान सफेद वस्त्र पहनना शुभ होता हैं शिव के मंत्र ‘ओम नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव को जल, चंदन, पुष्प, प्रसाद, धूप आदि अर्पित करें इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें आरती करें और अंत में क्षमायाचना करें फिर भगवान का प्रसाद वि​तरण करें।