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साल का पहला प्रदोष व्रत आज, जानिए पूजन विधि और महत्व

 

आज यानी 15 जनवरी दिन शनिवार को साल का पहला प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत को शास्त्रों में श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है ये व्रत शिव को समर्पित होता है और सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है, इस​ दिन शिव की विधि विधान से पूजा आराधना करने के बाद उपवास किया जाता है ऐसा करने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है तो आज हम आपको बता रहे है प्रदोष व्रत का मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि, तो आइए जानते हैं।

प्रदोष व्रत शिव को समर्पित होता है एकादशी की तहर ये व्रत भी महीने में दो बार आता है इसे हर मास की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है सप्ताह के दिन के हिसाब से इसके अलग अलग नाम और महत्व होते हैं साल का पहला प्रदोष व्रत इस बार शनिवार के दिन पड़ रहा है इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि नि:संतान दंपति अगर शनि प्रदोष का विधिवत व्रत रखें तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती हैं शनिप्रदोष का व्रत हर मनोकामना को पूरा करने वाला है साथ ही जातक को जीवन में अभीष्ट फल देने वाला माना जाता है साल का पहला प्रदोष व्रत आज रखा जा रहा हैं। 

पूजा का शुभ मुहूर्त—
पौष शुक्ल त्रयोदशी आरंभ— 14 जनवरी को रात 10:19 बजे पौष शुक्ल त्रयोशी समाप्त 16 जनवरी सुबह 13:57 बजे 
पूजा के लिए शुभ समय— शाम 5: 46 से रात 08: 28 बजे तक  

पूजन विधि—
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें और शिव व उनके परिवार की फोटो के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद दिन भर व्रत रखें और मन में शिव का ध्यान करें। शाम को प्रदोष काल के समय पूजा के स्थान को गंगाजल छिड़ककर साफ करें। एक चौकी बिछाएं और इस पर साफ वस्त्र बिछाकर शिव परिवार की तस्वीर रखें शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। उन्हें बेल पत्र, आक के पुष्प, धतूरा, चंदन, धूप और दीपक आदि अर्पित करें। इसके बाद शिव मंत्रों का जाप करें। शनि प्रदोष व्रत कथा पढ़ें और इसके बाद आरती करें। भगवान को प्रेम पूर्वक भोग लगाएं और उनसे गलतियों और पूजा में हुई भूलचूक की क्षमा मांगें। इसके बाद शनिदेव के नाम का दीपक जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रखें फिर प्रसाद का वितरण करें।