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शरद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, मां लक्ष्मी की मिलेगी कृपा

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या को खास माना गया हैं हर मास की पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता हैं मगर कुछ पूर्णिमा बहुत ही श्रेष्ठ मानी जाती हैं अश्विन मास की पूर्णिमा उन्हीं में से एक है बल्कि इसे सर्वोत्तम कहा जाता हैं अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं

इस पूर्णिमा पर रात्रि में जागरण करने व रात भर चांदनी रात में रखी खीर को सुबह भोग लगाने का विशेष महत्व होता हैं इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। ऐसा माना जाता हं कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर प्रकट होती हैं इसके साथ ही इस रात को जो मां लक्ष्मी की पूजा सच्चे मन से करता हैं देवी उस पर प्रसन्न होती हैं रात को खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें उसके बाद अगले दिन सुबह खीर ग्रहण करें इससे लाभ मिलता हैं। 

जानिए शरद पूर्णिमा का महत्व—
शरद पूर्णिमा इसलिए इसे कहा जाता हैं क्योंकि इस समय सुबह और सांय और रात्रि में सदी का अहसास होने लगता हैं चौमासे यानी श्री विष्णु जिसमें सो रहे हाते हैं वह समय अपने अंतिम चरण में होता हैं शरद पूर्णिमा का चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से संपूर्ण होकर अपनी किरणों से रातभर अमृत वर्षा करता हैं जो कोई इस रात्रि को खुले आसमान में खीर बनाकर रखता हैं व सुबह उसका सेवन करता है उसके लिए खीर अमृत के समान होती हैं। 

शरद पूर्णिमा पर उपाय—
खीर में मिश्रित दूध, चीनी और चावल के कारक भी चंद्रमा ही हैं इनमें चंद्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता हैं जिसके परिणाम स्वरूप किसी भी जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा क्षीण हो महादशा अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा चल रही हो या चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो चंद्रमा की पूजा करते हुए स्फटिक माला से 'ॐ सों सोमाय' मंत्र का जाप करें ऐसा करने से चंद्रजन्य दोष से शांति मिलेगी। 

रात्रि में मां लक्ष्मी की षोडशोपचार विधि से पूजा करके श्रीसूक्त का पाठ  'कनकधारा स्तोत्र' विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान विष्णु का मधुराष्टक का पाठ ईष्टकार्यों की सिद्धि दिलाता हैं पूजा में मिठान, मेवे और खीर का भोग लगाएं। रात्रि में ही बड़े पात्र में खीर बनाकर खुले आसमान में या छत पर रखें।