×

बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के इन मंदिरों में करें दर्शन पूजन, पूरी होगी हर मनोकामना

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में ईश्वर साधना को सर्वोत्तम माना गया है वही हमारे देश में देवी देवताओं के कई ऐसे प्रसिद्ध, चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर है जहां दर्शन पूजन से भक्तों की समस्याओं का निवारण हो जाता है कल यानी 26 जनवरी दिन गुरुवार को देशभर में बसंत पंचमी का उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान होता है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा देवी मां के प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिरों के बारे में बता रहे है जिनके दर्शन करने से मां ज्ञान के भंडार हमेशा भरे रखती है तो आइए जानते है। 

मां सरस्वती के प्रसिद्ध मंदिर—
कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में श्रृंगेरी का शारदमबा मंदिर है और यह मंदिर आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया था। आपको बता दें कि इस पवित्र मंदिर में मुख्य रूप से देवी मां सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है यहां पर बसंत पंचमी का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है जानकारी के अनुसार इस मंदिर में देवी की प्रतिमा चंदन की लकड़ी से निर्मित है कहते है जो भक्त यहां पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ देवी मां की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना माता पूर्ण कर देती है। श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर मां सरस्वती का प्रमुख मंदिर माना जाता है ये पवित्र स्थल आंध्र प्रदेश के अदिलाबाद जिले में स्थित है इसे बसरा नाम से भी बुलाया जाता है इस मंदिर के स्तंभों में संगीत के स्वर आज भी सुनाई देते है। यह पवित्र मंदिर गोदावरी नदी के तट प स्थित है। 

पनाचिक्कड़ सरस्वती मंदिर मां सरस्वती की पूजा का पवित्र धाम माना जाता है यह मंदिर केरल का एकमात्र मंदिर है इस मंदिर को किझेप्पुरम नंबूदिरी ने स्थापित किया था कहते है कि उन्होंने यहां स्थापित मूर्ति को ढूंढा था और पूर्व की ओर मुख करके इसको स्थापित किया। इस मंदिर को दक्षिण मूकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है।

वारंगल सरस्वती मंदिर आंध्रप्रदेश के मेंढक जिले के वारंगल में स्थिति है यहां मां सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है मान्यता है कि इस मंदिर में ज्ञान की देवी के दर्शन से भक्तों के दुखों का अंत हो जाात है वही पुष्कर का सरस्वती मंदिर भी अपने आप में बेहद पवित्र और पूजनीय है यहां मां सरस्वती का विशेष मंदिर है मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन के बिना पुष्कर की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है।