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विनायक चतुर्थी पर बन रहे दो शुभ योग, जानिए पूजा का मुहूर्त और चमत्कारी उपाय

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है वही हर माह में दो चतुर्थी पड़ती है जो श्री गणेश को समर्पित है शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है वहीं संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है इस दिन श्री गणेश की विधिवत पूजा की जाती है ऐसा करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते है

चतुर्थी तिथि पर भक्ति भाव से आराधना करने के साथ इस दिन उपवास रखने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति भक्तों को होती है आषाढ़ महीने की विनायक चतुर्थी जिसे वरदा या वरद विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं वह 3 जुलाई यानी कल रविवार को मनाई जाएगी। आपको बता दें कि इस दिन दो शुभ योगों का निर्माण हो रहा है जिससे विनायक चतुर्थी का महत्व और अधिक हो जाता है तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

जानिए विनायक चतुर्थी पर बनने वाले शुभ योग—
आपको बता दें कि रविवार के दिन आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी होने के कारण इस दिन रवि योग और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। 

रवि योग सुबह 5:28 से सुबह 6:30 तक है। 

सिद्धि योग दोपहर 12:07 से पूरी रात तक रहेगा। 

विनायक चतुर्थी पूजन का मुहूर्त—
चतुर्थी तिथि का आरंभ— 2 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 17 मिनट से
चतुर्थी तिथि का समापन— 3 जुलाई को शाम 5 बजकर 6 मिनट तक
श्री गणेश पूजा मुहूर्त— सुबह 11 बजकर 2 मिनट से दोपहर 1 बजकर 49 मिनट तक

जानिए इस दिन किए जाने वाले उपाय—
आपको बता दें कि आषाढ़ विनायक चतुर्थी के दिन दूर्वा की माला बनाकर भगवान श्री गणेश को अर्पित करें वही शुद्ध घी और गुड़ का भोग भगवान को लगाएं और वक्रतुण्डाय हुं" मंत्र का जाप करीब 54 बार करें। वही पूजन के समाप्त होने पर गुड़ और घी गाय को खिला दें। लगातार पांच विनायक चतुर्थी व्रत पर ये आसान उपाय करने से धन संबंधित परेशानियां दूर होती है। 

आषाढ़ विनायक चतुर्थी की पूजा विधि—
आपको बता दें कि विनायक चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें फिर श्री गणेश भगवान की तस्वीर के सामने व्रत का संकल्प करें। शुभ मुहूर्त में चौकरी पर लाल वस्त्र बिछाकर श्री गणेश को स्थापित करें। फिर भगवान का जलाभिषेक कर उन्हें चंदन तिलक, वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, धूप दीपक, लाल पुष्प, अक्षत, फल, दूर्वा, सुपारी आदि अर्पित करें। भगवान गणेश को मोकद या मोती चूर के लड्डू अर्पित करें शांत मन से श्री गणेश के मंत्र का जाप करें या फिर चालीसा का पाठ करें। फिर आरती करके प्रसाद सभी लोगों में बांट दें।