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आंवला नवमी के दिन जरूर करें ये काम, पूरे साल रहेंगे स्वस्थ, संपन्न और प्रसन्न

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें आंवला नवमी भी विशेष मानी जाती है पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है इसे अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है इस साल आंवला नवमी का पर्व कल यानी 2 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन आंवले के पेड़ की विशेष तौर पूजा करने का विधान होता है इसलिए इसे नवमी को आंवला नवमी के नाम से जानते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष पर भगवान श्री हरि विष्णु वास करते हैं

ऐसे में श्री हरि के प्रिय महीने कार्तिक मास की नवमी को आंवले के पेड़ की पूजा करने से जगत के पालनहार श्री विष्णु और मातस लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करती है जिससे जीवन में सुख समृद्धि और संपन्नता आती है आंवला नवमी का त्योहार देवउठनी एकादशी से दो दिन पहले ही मनाया जाता है इसी दिन तुलसी विवाह भी किय जाता है कहा जाता है कि आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु पूरे चार मास की निद्रा के बाद जागते हैं जिसे देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है तो आज हम आपको इससे जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

इस साल आंवला नवमी का त्योहार 2 नवंबर दिन बुधवार यानी कल देशभर में मनाया जाएगा इस दिन आंवले के पेड़ की परिक्रमा लगाई जाती है और सूत बांधा जाता है आंवले के वृक्ष में इस तरह सूत बांधने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष् की अक्षय नवमी तिथि 1 नवंबर की रात 11 बजकर 4 मिनट से आरंभ हो रही है जो 2 नवंबर को रात 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगी

वही पूजन का शुभ समय सुबह 6 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भक्तों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं इसलिए इस पर्व को अक्षय नवमी कहा जाता है साथ ही श्री हरि का इस पर वास होने के कारण भी लोग इस पेड़ की पूजा करते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से धन, शादी विवाह, संतान, वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी परेशानियों का अंत हो जाता है और खुशहाली जीवन में आती है।