×

शीतला षष्ठी पर करें ये अचूक उपाय, मिलेगी माता की कृपा

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते है और सभी का अपना महत्व होता है वही इस साल शीतला षष्ठी का व्रत 27 जनवरी दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा इस दिन महिलाएं व्रत उपवास रखकर माता की विधिवत पूजा करती है। 

मान्यता है कि माता शीतला की कृपा जिस पर हो जाती है उसके घर परिवार से रोगों का नाश हो जाता है और परिवार के लोगों की सेहत भी अच्छी बनी रहती है साथ ही साथ लंबी आयु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है ऐसे में अगर आप भी देवी मां शीतला को प्रसन्न करना चाहते है तो इस दिन पूजा पाठ और उपवास के साथ साथ मां शीतला का चमत्कारी स्तोत्र जरूर पढ़ें तो आज हम आपके लिए लेकर आए है शीतलाष्टक स्तोत्र का संपूर्ण पाठ। 

शीतलाष्टक स्तोत्र—

मन्त्रः
ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः ॥ [११ बार]

॥ ईश्वर उवाच॥
वन्दे अहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम् ।
मार्जनी कलशोपेतां शूर्पालं कृत मस्तकाम् ॥1॥

वन्देअहं शीतलां देवीं सर्व रोग भयापहाम् ।
यामासाद्य निवर्तेत विस्फोटक भयं महत् ॥2॥

शीतले शीतले चेति यो ब्रूयाद्दारपीड़ितः ।
विस्फोटकभयं घोरं क्षिप्रं तस्य प्रणश्यति ॥3॥

यस्त्वामुदक मध्ये तु धृत्वा पूजयते नरः ।
विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ॥4॥

शीतले ज्वर दग्धस्य पूतिगन्धयुतस्य च ।
प्रनष्टचक्षुषः पुसस्त्वामाहुर्जीवनौषधम् ॥5॥

शीतले तनुजां रोगानृणां हरसि दुस्त्यजान् ।
विस्फोटक विदीर्णानां त्वमेका अमृत वर्षिणी ॥6॥

गलगंडग्रहा रोगा ये चान्ये दारुणा नृणाम् ।
त्वदनु ध्यान मात्रेण शीतले यान्ति संक्षयम् ॥7॥

न मन्त्रा नौषधं तस्य पापरोगस्य विद्यते ।
त्वामेकां शीतले धात्रीं नान्यां पश्यामि देवताम् ॥8॥

॥ फल-श्रुति ॥
मृणालतन्तु सद्दशीं नाभिहृन्मध्य संस्थिताम् ।
यस्त्वां संचिन्तये द्देवि तस्य मृत्युर्न जायते ॥9॥

अष्टकं शीतला देव्या यो नरः प्रपठेत्सदा ।
विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ॥10॥

श्रोतव्यं पठितव्यं च श्रद्धा भक्ति समन्वितैः ।
उपसर्ग विनाशाय परं स्वस्त्ययनं महत् ॥11॥

शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ॥12॥

रासभो गर्दभश्चैव खरो वैशाख नन्दनः ।
शीतला वाहनश्चैव दूर्वाकन्दनिकृन्तनः ॥13॥

एतानि खर नामानि शीतलाग्रे तु यः पठेत् ।
तस्य गेहे शिशूनां च शीतला रूङ् न जायते ॥14॥

शीतला अष्टकमेवेदं न देयं यस्य कस्यचित् ।
दातव्यं च सदा तस्मै श्रद्धा भक्ति युताय वै ॥15॥
॥ श्रीस्कन्दपुराणे शीतलाअष्टक स्तोत्रं ॥