14 अप्रैल को मनाई जाएगी बैसाखी, जानिए महत्व और मान्यताएं
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: भारत में बैसाखी के पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन को सिख समुदाय के लोग नए साल के रूप में मनाते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को अलग अलग नामों से जाना जाता है असम में इसे बिहू, केरल में पूरम विशु, बंगाल में नबा वर्ष जैसे नामों से जाना जाता है सिख समुदाय के लोगों के लिए यह त्योहार बेहद ही महत्वपूर्ण होता है इस दिन वह अपने करीबियों, रिश्तेदारों के संग मिलकर खुशियां मनाते हैं इस दिन विधिवत तरीके से अनाज की पूजा करने के साथ अच्छी फसल के लिए भगवान को शुक्रया कहते हैं इस साल ये त्योहार 14 अप्रैल दिन गुरुवार यानी कल मनाया जाएगा। तो आज हम आपको बैसाखी का महत्व और मनाने का तरीका आपको बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए क्यों मनात हैं बैसाखी का त्योहार—
बैसाखी त्योहार की शुरुआत सिख पंथ के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसके साथ ही इस दिन से बैसाखी पर्व की शुरुआत भी हुई थी। सिख धर्म की स्थापना के साथ साथ फसल पकने के रूप में मनाते हैं इस माह रबी फसल पक कर तैयार हो जाती है और कटना शुरू हो जाती है इसी कारण किसान लोग अपनी खुशी त्योहार के रूप में मनाते हैं।
ऐसे मनाते हसैं बैसाखी पर्व—
इस दिन सिख समुदाय के लोग सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करते हैं और गुरुद्वारे में जाकर माथा टेकते हैं इस दिन गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ होने के साथ कीर्तन आदि होते हैं पंजाबी लोग इस दिन मिलजुल कर भांगड़ा भी करते हैं।
सिख धर्म के साथ साथ हिंदू धर्म में भी बैसाखी पर्व को अधिक महत्व दिया जाता है इस दिन स्नान दान और पूजा पाठ करने का विधान है मान्यता के अनुसार मुनि भागीरथ ने देवी गंगा को धरती में उतारने के लिए कठोर तपस्या की थी और इस दिन ही उनकी तपस्या पूर्ण हुई थी। इसलिए इस दिन गंगा स्नान के साथ गंगा जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है इसके अलावा इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं जिसके कारण इसे मेष संक्रांति कहा जाता है इसका असर हर राशि के लोगों पर पड़ता है।