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16 ​श्रृंगार से सज कर सुहागिनें करती है वट सावित्री की पूजा, जानिए महत्व

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत को बेहद ही खास माना जाता है वही आने वाली 30 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। इस दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या और सोमवार है यह इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या होगी। इसलिए आने वाली 30 मई को व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है

इस दिन शादीशुदा महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है बरगदाही के नाम से भी जाना जाने वाला यह व्रत भी सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ के व्रत के समान ही फलदाई होता है, तो आज हम आपको इस व्रत के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि—  
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने शादी का जोड़ा पहनकर, सोलह सिंगार करके, दो टोकरियों में सामान भरकर, बरगद के पेड़ के पास जाकर प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवानकी पूजा करती है शिव और पार्वती की भी पूजा करती है साथ ही सावित्री और सत्यवान की पूजा करती है बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाती है रोली कुमकुम से बरगद पेड़ पर तिलक लगाती है कच्चा सूत लपेटकर 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करती है उन 108 बार की परिक्रमा में हर बार मूंगफली के दाने बरगद के पेड़ को समर्पित करती है सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ के समान ही अपने पति की लंबी उम्र की कामना मृत्यु के देवता यमराज से करती है। 


  
मान्यता है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा विधि विधान से करने पर सुहागिन महिलाओं के सुहाग में बढ़ोत्तरी होती है जैसे सावित्री ने हठ पूर्वक यमराज से सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। उसी तरह सुहागिन महिलाएं बरगदाही व्रत का नियम पूर्वक पलन करके और वट वृक्ष की विधिवत पूजा करके अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है इससे उनके घर पर आने वाला संकट टल जाता है आर्थिक संकटों से मुक्ति मिल जाी है गृह क्लेश और अन्य बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है।