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असम : सत्ता में होते हुए भी सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं करेगी बीजेपी

 

असम में अभी विधानसभा चुनावों की घोषणा नहीं हुई उसके बावजूद भी वहां पर सियासी गहमागहमी जोरो पर है। गृह मंत्री अमित शाह ने बीते महीने ही नलवारी में बड़ी रैली का आयोजन कर वहां पर भाजपा की  चुनावी यात्रा की शुरुआत कर दी थी। इसके बाद से ही प्रधानमन्त्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा अब तक कई रैलिया असम में कर चुके है। यहाँ पर भाजपा ने अबकी बार अपनी रणनीति में अहम् बदलाव किया है, यहां पर भाजपा ने अपनी सत्ता होते हुए भी अपने सीएम प्रत्याशी का नाम सामने नहीं किया है।

माना जा रहा है की पार्टी ने आंतरिक कलह से बचने के लिए ये फैसला लिया है। ऐसे में ये पहली बार होगा जब सत्ता में रहते हुए भी भाजपा बिना सीएम प्रत्याशी घोषित करें चुनाव लड़ेगी। कयास लगाए जा रहे है की इस बार मुख्यमंत्री सर्बानंद भाजपा के सीएम प्रत्याशी नहीं होंगे। वैसे साल 2016 में सर्बानंद को भाजपा ने ही सीएम उम्मीदवार घोषित किया था,तब वे मोदी सरकार में मंत्री हुआ करते थे।

पहले भी थी सर्बानंद से नाराजगी

सूत्रों के माने तो सर्बानंद को लेकर पहले ही पार्टी विधायकों और क्षेत्रीय नेताओ को ये आपत्ति थी की सर्बानंद का उनके साथ कोई समन्वय ही नहीं है। वैसे सर्बानंद के पृष्ठभूमि को देखा जाए तो ना ही उनका संघ से कोई रिश्ता रहा है ना ही उनका बैकग्राउंड भाजपा से है ,ऐसे में उस समय भी सर्बानंद को सीएम का चेहरा घोषित करने पर सब हैरान थे।

हेमंत को नहीं करना चाहती नाराज

असम में भाजपा ने जहाँ दिलीप सैकैया को राष्ट्रीय महासचिव बनाया तो वहीँ दूसरी और हेमंत बिस्वा सर्मा भाजपा के पूर्वोत्तर लोकतान्त्रिक गठबंधन के चेयरपर्सन है। हेमंत पूर्वोत्तर में पार्टी के सबसे मजबूत स्तम्भ है और पार्टी के संकटमोचाक भी, ऐसे में पार्टी सर्बानंद के साथ जाकर हेमंत को नाराज़ नहीं करना चाहती।  सूत्रों के मुताबिक पार्टी चुनाव के बाद ही इस बात का निर्णय लेगी की किस को मुख्यमंत्री बनाया जाए।