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भारत के इस सबसे जांबाज जासूस पर बनी है सलमान खान की फिल्म 'Ek Tha Tiger', यहां पढ़िए इस रियल टाइगर की सच्ची कहानी 

 

मनोरंजन न्यूज़ डेस्क - बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान की फिल्म 'एक था टाइगर' 15 अगस्त 2012 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। आज इस पोस्ट में हम आपको फिल्म में सलमान द्वारा निभाए गए टाइगर के किरदार की असली कहानी बताने जा रहे हैं। वह शख्स सलमान खान की तरह बहुत मशहूर नहीं है और उसके बारे में शायद ही कोई जानता हो या किसी ने सुना हो - उसका नाम था रवींद्र कौशिक, वह भारत की जासूसी एजेंसी रॉ का पूर्व एजेंट था। राजस्थान के श्रीगंगानगर में पले-बढ़े रवींद्र 23 साल की उम्र में ग्रेजुएशन के बाद रॉ में शामिल हो गए। भारत पाकिस्तान और चीन के साथ एक-एक युद्ध लड़ चुका था और पाकिस्तान भारत के खिलाफ दूसरे युद्ध की तैयारी कर रहा था।

<a href=https://youtube.com/embed/IoxHGv570Do?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/IoxHGv570Do/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Story Of Ravindra Kaushik, दुनिया के सबसे खतरनाक जासूस रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर की पूरी कहानी" width="695">

जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी तो उसने रॉ के जरिए रवींद्र कौशिक को भारतीय जासूस बनाकर पाकिस्तान भेजा। यहां रवींद्र ने नाम बदलकर एक कॉलेज में दाखिला ले लिया। यहां से उन्होंने एक बार फिर कानून में स्नातक किया और उर्दू सीखी और बाद में जासूसी के लिए पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए। आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान को पता ही नहीं चला कि उसकी सेना में एक भारतीय एजेंट भी है! रवींद्र ने देश की खातिर खतरनाक परिस्थितियों के बीच अपने घर से दूर पाकिस्तानी सेना में 30 साल बिताए।इससे मिली जानकारी के आधार पर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर रणनीति तैयार की. पाकिस्तान कारगिल युद्ध से बहुत पहले ही भारत के खिलाफ युद्ध शुरू कर सकता था, लेकिन रवींद्र के कार्यकाल में यह संभव नहीं था, केवल एक आदमी ने पाकिस्तान को खोखला कर दिया था।

रवींद्र के जरिए भारतीय सेना को रणनीति बनाने का पूरा मौका मिला और राजस्थान से लगी सीमा पर कई बार युद्ध छेड़ने की कोशिश कर चुके पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा. बहुत कम लोग जानते हैं कि पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई के असली हीरो रवींद्र कौशिक हैं। रवींद्र के मुताबिक, भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पहलगाम में घुसपैठ करने वाले 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. लेकिन दुर्भाग्य से रवींद्र का राज पाकिस्तानी सेना को पता चल गया।रवींद्र ने भारत सरकार से किसी तरह वहां से भागकर खुद को बचाने की अपील की, लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें भारत वापस लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. अत: उन्हें पाकिस्तान में ही पकड़ लिया गया और जेल में डाल दिया गया, उन पर तमाम तरह के मामले दर्ज किये गये, उन्हें भारतीय सेना की गुप्त सूचनाएं उजागर करने के लिए यातनाएं दी गईं, उन्हें वहां से चले जाने का लालच भी दिया गया लेकिन उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला और बाद में जेल में ही उनकी मृत्यु हो गयी।


रवीन्द्र कौशिक को 30 साल की देशभक्ति का यह इनाम मिला, भारत सरकार ने रवीन्द्र से जुड़े सारे रिकार्ड भारत में मिटा दिये और रॉ को रवीन्द्र के मामले में मुंह बंद रखने की धमकी दी, उनके परिवार को हाशिये पर धकेल दिया गया और भारत का यह सच्चा सपूत खो गया गुमनामी के अँधेरे में. फिल्म एक था टाइगर रवींद्र कौशिक के जीवन पर आधारित है। जब यह फिल्म बन रही थी तो सरकार के हस्तक्षेप के बाद इसकी स्क्रिप्ट बदल दी गई और इसकी कहानी भी बदल दी गई, लेकिन मूल कहानी वही है। इस देशभक्त को गुमनाम न रहने दें, इस पोस्ट को शेयर करें और टैग करें, इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताएं और हां, जब भी आप यह फिल्म देखने जाएं तो इस असली टाइगर को जरूर याद करें।