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Rajasthan Unlock: मनोरंजन जगत एक साल से उदास,राजस्थान में अब भी सिनेमा हाल है बंद

 

प्रदेश में अब लगभग सभी तरह के व्यवसाय को खोलने की छूट दे दी गयी है। लेकिन सिनेमाघर अब भी इन्तजार में है। जबकि सबसे पहले बंद भी यही हुए थे। और कमाल की बात ये है की इस उद्योगके पास ऑनलाइन क्लास या होम डिलीवरी जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं है। लेकिन इनको अभी तक भी नहीं खोला गया है और इसी वजह से देशभर में सबसे पहले मनोरंजन कर में छूट देने वाले सीएम अशोक गहलोत और उनकी सरकार से अब सिनेमा मालिक खफा खफा हैं। दरअसल सिनेमाघर लॉकडाउन लगने के 456 दिन से बंद ही पड़े है और अब तक करीब 30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। ।

बीते एक साल से भी अधिक समय से बंद पड़े सिनेमा हाल के मालिकों को सीएम गहलोत से बहुत उम्मीद थी, लेकिन सीएम ने अब भी उनके तरफ नरमी नहीं बरती है और इसी वजह से एक बार फिर से सिनेमा मालिक और डिस्ट्रीब्यूटर्स निराश है। मालिकों का कहना है कि गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में मनोरंजन कर में छूट दी गई थी। नतीजतन राजस्थान में मल्टीप्लेक्स मॉल का तेजी से विकास हुआ। इस बहार भी हमे उम्मीद थी की इस संकट की घड़ी में राजस्थान सबसे पहले उन्हें राहत देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ।

सेंट्रल सर्किट सिने एसोसिएशन (CCCA) के समन्वय समिति के चेयरमैन सत्यवान पारीक के मुताबिक उनके द्वारा अब तक कई बार सीएम मेल किया जा चूका हैं। पात्र व्यवहार भी किया गया हैं, लेकिन अभी तक भी उनकी सुध नहीं ली गयी है। उन्होंने साथ ही ये भी बताया की बीते एक वर्ष से अधिक समय से सिनेमा बंद पड़े है लेकिन उनसे यूडी टैक्स, बिजली बिल के फिक्स चार्ज व जीएसटी वसूलेजा रहे है। कम से कम इसमें तो छूट मिलनी ही चाहिए। सभी टैक्स वसूले जा रहे हैं।

सिनेमा मालिकों व सीसीसीए का कहना है कि अगर सिनेमा हॉल को तुरंत अनलॉक कर भी दिया जाए तो भी पहले कुछ माह तो रिपेयरिंग व अन्य व्यवस्थाओं पर ही खर्चा होगा। और इसके बाद भी जब तक कोई बड़ी फिल्म नहीं आती तब तक सिनेमा हॉल का रुख दर्शक नहीं करने वाले। ऐसे में अनलॉक की घोषणा के बाद भी इसे फिर से खड़ा होनेमे करीब एक साल लगेगा।

खैर प्रदेश के सिनेमा हॉल व्यवसाय की बात करे तो इसमें करीब दस हजार कर्मचारी कार्यरत है। एक सिनेमा से कई एजेंसियां जुड़ी हुई होती है। और ये सब के सब व्यवसाय बंद होने के बाद से प्रभावित हो रहे है। कर्मचारियों को भी वेतन कम मिल रहा है। दूसरी ओर मालिकों को कर्मचारियों का पीएफ आदि भी भरना पड़ रहा है।