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हीरो बनने आए लेकिन बन गए  बॉलीवुड के सबसे खूंखार विलेन, एक क्लिक में पढ़िए Amrish Puri का पूरा फ़िल्मी सफर 

 

मनोरंजन न्यूज़ डेस्क -  बॉलीवुड में खलनायक का किरदार निभाकर तहलका मचाने वाले अभिनेता अमरीश पुरी किसी खास परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं। बॉलीवुड में ऐसे बहुत कम सितारे हैं जिनके किरदार लोगों के दिलों में गहराई तक उतर जाते हैं। अमरीश पुरी उन्हीं सितारों में से एक हैं। उन्होंने खलनायक का किरदार इस तरह निभाया कि कोई दूसरा अभिनेता उनके करीब भी नहीं आ सका। वह अपने किरदार में जान डाल देते थे। अमरीश पुरी ने 30 साल से भी ज्यादा समय तक फिल्मों में काम किया और निगेटिव रोल इतने असरदार तरीके से निभाए कि वह हिंदी फिल्मों में खलनायक का पर्याय बन गए। 23 जून 1932 को जन्मे अमरीश पुरी अगर आज जिंदा होते तो अपना 91वां जन्मदिन मना रहे होते। आज इस मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं...


अमरीश पुरी का जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था। अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने आए थे। लेकिन किस्मत ने उन्हें खलनायक बना दिया। अमरीश पुरी ने 30 साल से भी ज्यादा समय तक फिल्मों में काम किया और निगेटिव रोल इतने असरदार तरीके से निभाए कि वह हिंदी फिल्मों में खलनायक का पर्याय बन गए। एक इंटरव्यू के दौरान अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने बताया था, 'पापा जवानी में हीरो बनने मुंबई आए थे। उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से ही फिल्मों में थे। लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि उनका चेहरा हीरो जैसा नहीं है। इससे वह काफी निराश हुए थे।' फिल्मों में हीरो का रोल न मिलने के बाद अमरीश पुरी ने थिएटर का रुख किया। जहां उन्होंने अपनी दमदार एक्टिंग से खूब शोहरत हासिल की। ​​इसके बाद उन्होंने 1970 में फिल्मों में काम करना शुरू किया।


आगे राजीव ने बताया, 'पापा ने फिल्मों में काफी देर से काम करना शुरू किया। लेकिन बतौर थिएटर आर्टिस्ट उन्होंने काफी शोहरत हासिल कर ली थी। हमने तभी से उनका स्टारडम देखा था और हमें पता चल गया था कि वह कितने बड़े कलाकार हैं।'70 के दशक में अमरीश पुरी ने निशांत, मंथन, भूमिका, आक्रोश जैसी कई फिल्में कीं। 80 के दशक में उन्होंने बतौर विलेन कई अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाईं। हम पांच, नसीब, विधाता, हीरो, अंधा कानून, अर्ध सत्य जैसी फिल्मों में उन्होंने खलनायक के तौर पर ऐसी छाप छोड़ी कि उनका नाम ही फिल्म प्रेमियों के मन में खौफ पैदा कर देता था। 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया में उनका किरदार मोगैम्बो काफी मशहूर हुआ था। फिल्म का डायलॉग 'मोगैम्बो खुश हुआ' आज भी लोगों के जेहन में है।


अपने पिता अमरीश पुरी के बारे में बात करते हुए राजीव पुरी ने कहा कि असल जिंदगी में वह काफी अनुशासित और वक्त के पाबंद इंसान थे। उनके सिद्धांत बहुत साफ थे। जो बात उन्हें पसंद नहीं आती थी, वह साफ कह देते थे। अमरीश रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बेहद विनम्र रहते थे। उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया कि वह कितने मशहूर हैं। इसके अलावा अमरीश पुरी को अपने पोते-पोतियों से बेहद लगाव था। वह उनके साथ खूब खेला करते थे।