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Varanasi  मानवता ही सर्वोत्तम धर्म श्रीनिवास

 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  साहित्यकार डॉ. राजेंद्र प्रसाद पांडेय का साहित्य धर्म की मूल चेतना को उजागर करता है. यह मनुष्यता को सर्वोपरि धर्म के रूप में स्थापित करता है. साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने  रथयात्रा स्थित कन्हैयालाल सभागार में नांदी सेवा न्यास की ओर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय स्मृति समारोह सह द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए यह कहा.

कार्यक्रम का उद्घाटन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पांडेय की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन हुआ. शाम्भव रत्न व वैष्णव रत्न ने अपने दादा द्वारा रचित ‘काशीकाशीश्वरस्तव’ का सस्वर पाठ किया. शशिकला पांडेय ने स्वागत किया. सत्र में डॉ. पाण्डेय की तीन पुस्तकों का लोकार्पण के. श्रीनिवासराव, गोविंद मिश्र, दयानिधि मिश्र और विनयदास ने किया. साथ ही शुभदा पांडेय की पुस्तक ‘प्रणम्यलेखनी के अक्षरपुरुष’ का लोकार्पण भी किया गया. मुख्य अतिथि पूर्व आयकर आयुक्त और कहानीकार गोविंद मिश्र ने कहा कि आज पतन ही विकास का अंतर्निहित तत्व बन चुका है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पांडेय की ‘लौकिक रुद्राष्टाध्यायी’ पर बात करते हुए डॉ. गायत्री प्रसाद पांडेय ने वेदों के लौकिक पाठ की बात की. वरिष्ठ साहित्यकार जीतेंद्रनाथ मिश्र, प्रो. विनयदास, प्रो. चितरंजन और दयानिधि मिश्र (दादा) ने भी विचार रखे. संचालन डॉ. रामसुधार सिंह ने किया. दो सत्रों में समकालीन कविता और लय तथा पांडेय जी का काव्य और समकालीन कथा जगत् की हलचल एवं पांडेय जी का कथा साहित्य विषय पर परिचर्चा हुई. इनमें नरेन्द्र पुण्डरीक, आर्यमा सान्याल, शुभदा पांडेय, प्रो. वशिष्ठ अनूप द्विवेदी, प्रो. रचना शर्मा, प्रभात मिश्र, प्रो. भारती गोरे, डॉ अमिता दुबे, जीतेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे.

 

 

वाराणसी न्यूज़ डेस्क