सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर नहीं होगी रोक, मामला दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपा
भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ‘उदयपुर फाइल्स’ नामक फिल्म की रिलीज़ को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह फिल्म के रिलीज पर कोई रोक नहीं लगाएगा और इस संबंध में गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उचित निर्णय दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा लिया जाएगा और याचिकाकर्ताओं को दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी दलीलें प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह विवाद राजस्थान के दर्जी कन्हैयालाल की हत्या पर आधारित ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म को लेकर है। फिल्म में कथित तौर पर उस घटना का चित्रण किया गया है, जिसने देश भर में सनसनी मचा दी थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि फिल्म में तथ्यों का गलत प्रस्तुतिकरण किया गया है और इससे कन्हैयालाल परिवार की भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसलिए उन्होंने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इस अदालत ने फिल्म के विषय में किसी भी तरह का निर्णय या टिप्पणी नहीं की है। यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष है, जहां याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों और दलीलों के साथ उपस्थित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को उच्च न्यायालय को वापस भेजते हुए वहां उचित कानूनी प्रक्रिया के अनुसार विचार करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज़ को लेकर अनिश्चितता कम हुई है। फिल्म निर्माताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि न्यायपालिका का सम्मान करते हुए वे अपनी फिल्म को दर्शकों के सामने लाने के लिए तैयार हैं।
राजस्थान के दर्जी कन्हैयालाल की हत्या 2022 में हुई थी, जब उन्होंने धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ अपनी राय व्यक्त की थी। इस घटना ने पूरे देश में बहस छेड़ दी थी और इसे लोकतंत्र तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना गया था। फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ इसी घटनाक्रम पर आधारित है, जिसमें हत्या के पीछे के कारणों, पुलिस जांच और सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि को दर्शाने का प्रयास किया गया है।
हालांकि याचिकाकर्ता फिल्म को लेकर चिंतित हैं कि इससे घटना के पीड़ित परिवार की भावनाएं आहत होंगी और समाज में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने मांग की थी कि इस फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाई जाए ताकि संवेदनशील मामले को लेकर किसी तरह की गलतफहमी या विवाद उत्पन्न न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल किसी भी पक्ष को राहत नहीं दी है और कहा है कि विवादों का निपटारा न्यायालय के उचित मंच पर होना चाहिए। इस आदेश से स्पष्ट हो गया है कि न्यायालय संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक संवेदनशीलता का भी ख्याल रखेगा।
अगले कदम के तहत अब यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में सुना जाएगा, जहां याचिकाकर्ताओं और फिल्म निर्माताओं दोनों को अपनी-अपनी दलीलें प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। हाईकोर्ट अपनी विवेचना के आधार पर फिल्म की रिलीज़ को लेकर अंतिम फैसला करेगा।