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'भील प्रदेश' के नक्शे को लेकर सियासत गरमाई, भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने बीएपी पर साधा निशाना

 

आदिवासी संगठन बीएपी (भील प्रदेश पार्टी) द्वारा हाल ही में जारी किए गए 'भील प्रदेश' के नक्शे ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है। इस नक्शे में राजस्थान के कुछ हिस्सों को संभावित भील प्रदेश में दर्शाया गया है, जिसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बीएपी पार्टी को "अवसरवादी और समाज को बांटने वाली राजनीति करने वाला संगठन" बताया।

मदन राठौड़ का कड़ा बयान

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा,
“राजस्थान की एकता और अखंडता से कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। बीएपी जैसे संगठन सामाजिक भावनाओं को भड़काकर राजनीतिक जमीन तैयार करना चाहते हैं, जो राज्य और देश की अखंडता के लिए खतरा है। हम ऐसे किसी भी षड्यंत्र को सफल नहीं होने देंगे।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीएपी पार्टी जनजातीय समाज की भावनाओं का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है, जो पूरी तरह से गैरजिम्मेदाराना और विभाजनकारी सोच है।

क्या है भील प्रदेश का मुद्दा?

'भील प्रदेश' की मांग कोई नई नहीं है। बीते कुछ वर्षों से कुछ आदिवासी संगठन राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों को मिलाकर एक स्वतंत्र 'भील प्रदेश' की मांग कर रहे हैं। हाल ही में बीएपी पार्टी द्वारा एक नक्शा जारी कर इस मुद्दे को फिर से हवा दी गई है। नक्शे में उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ जैसे जिले शामिल हैं, जिससे राजस्थान की राजनीतिक सतह पर हलचल मच गई है।

कांग्रेस ने भी जताई आपत्ति

भाजपा के अलावा, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी इस नक्शे पर आपत्ति जताई है। हालांकि कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि "राज्य की सीमाओं से छेड़छाड़ का कोई भी प्रयास सहन नहीं किया जाएगा।"