×

Siwan  लंपी से 60 मवेशी पीड़ित,संकट में पशुपालक, उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे प्रखंडों में लंपी का तेजी से प्रसार, चिकित्सक गांव- गांव में जाकर कर रहे हैं सर्वे
 

 


बिहार न्यूज़ डेस्क जिले के यूपी से सटे प्रखंडों में लंपी बीमारी का प्रसार तेजी से हो रहा है. यूपी की सीमा से सटे प्रखंड गुठनी, दरौली में ऐसे मरीज अधिक देखे जा रहे हैं.
अब तक प्रखंड में मवेशियों की मौत का आंकड़ा शून्य है. हालांकि, पूरे प्रखंड में 60 मवेशियों में इस बीमारी का लक्षण पाए गए हैं. इनमें 54 मवेशियों का समुचित इलाज कर रोग मुक्त कर लिया गया है. वर्तमान में छह मवेशियों का इलाज जारी है. विगत अगस्त माह की आखिर में लंपी बीमारी के लक्षण देखने पर स्थानीय पशु चिकित्सक ने तेजी से पशुओं की जांच और इलाज का काम शुरू किया था. पशु चिकित्सक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि मवेशियों में जिस बीमारी के लक्षण अधिक दिख रहे हैं, उसका इलाज किया जा रहा है. उन्हें एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं. जबकि, सामान्य रूप से इम्यूनिटी बूस्ट करने वाली दवाएं चलाई जा रही हैं. मवेशियों की कमजोरी दूर करके उन्हें रोग मुक्त बनाया जा रहा है. प्रखंड में पशुओं का टीकाकरण भी तेजी से किया गया था.


रोक थाम के लिए जारी है ग्रामीण इलाकों का भ्रमण लंपी वायरस के रोकथाम को लेकर डाक्टरों की टीम का क्षेत्र भ्रमण जारी है. हर दिन चिकित्सा पदाधिकारी और अन्य कर्मियों के द्वारा प्रखंड के विभिन्न गांव का भ्रमण किया जा रहा है. इस दौरान मवेशियों की जांच के साथ यह टीम इलाज भी कर रही है. इस टीम की मॉनिटरिंग खुद चिकित्सा पदाधिकारी कर रहे हैं. उनका कहना था कि टड़वा तिवारी, चिताखाल, सेमाटार, टड़वा खुर्द, दमोदरा, ग्यासपुर, बलुआ, तिरबलुआ में जांच की गई है.
बुखार के बाद मवेशियों की हालत हो जा रही है गंभीर पशुओं में फैल रही लंबी वायरस से जहां मवेशियों की हालत गंभीर हो जा रही है, साथ पशुपालक भी परेशान हो जा रहे हैं. डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी का वाहक मच्छर या परिजीवी कीट बन रहे हैं. ये पशुओं का खून चूसते हैं और इनमे रोग का प्रसार करते हैं. इस रोग का प्रसार देसी नस्ल के गायों में ना के बराबर हो रहा है. लेकिन फ्रिजियन और जर्सी गायों में में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. इस नस्ल की गाएं 15 - 15 दिनों तक बीमारी रह जा रहा है. उन्होंने बताया कि मवेशियों में बुखार के लक्षण के अलावा नाक बहने की समस्या देखी जा रही है. जबकि त्वचा पर जगह-जगह गांठ भी दिख रहे हैं. इस बीमारी की चपेट में आए पशुओं को पहले बुखार होता है जिसके बाद यह त्वचा रोग फैलता है.
क्या कहते हैं पशु चिकित्सक पशु चिकित्सक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि आधा दर्जन गांवों मे यह बीमारी की शुरुआत हुई थी. इसको समय से इलाज करके पूरी तरह काबू में कर लिया गया है.
अभी तक यह बीमारी पूरी तरह नियंत्रण में है.


सिवान न्यूज़ डेस्क