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हरिशेवा उदासीन आश्रम में सामाजिक समरसता पर संवाद कार्यक्रम, सांसद देवजी भाई पटेल और विहिप पदाधिकारियों ने रखे विचार

 

शनिवार को जालोर स्थित हरिशेवा उदासीन आश्रम, सनातन मंदिर में "सामाजिक समरसता" विषय पर एक महत्वपूर्ण संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सांसद देवजी भाई पटेल, विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय एवं प्रांतीय पदाधिकारी, और बड़ी संख्या में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में सांस्कृतिक एकता, समानता और आपसी सौहार्द को मजबूत करना था।

विविधता में एकता ही भारत की पहचान: सांसद

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन से हुई। इसके पश्चात सांसद देवजी भाई पटेल ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा,

"भारत की संस्कृति विविधताओं में एकता की मिसाल है। जब हम जाति, वर्ग, भाषा और क्षेत्रीय भेदभाव से ऊपर उठकर एक-दूसरे को अपनाते हैं, तभी सच्चे अर्थों में सामाजिक समरसता संभव है।"

उन्होंने युवाओं से सामाजिक सेवा और समर्पण के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने की अपील की।

विहिप की सामाजिक पहल

विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारियों ने संगठन की ओर से देशभर में चलाए जा रहे समरसता अभियानों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विहिप का मुख्य उद्देश्य समाज के सभी वर्गों – आदिवासी, दलित, पिछड़े और मुख्यधारा के बीच संवाद और समरसता को बढ़ावा देना है।
उनके अनुसार,

"सनातन संस्कृति का मूल भाव है – समाज को जोड़ना, बांटना नहीं। विहिप चाहती है कि हर हिंदू गर्व से कह सके कि वह समानता और एकता में विश्वास रखता है।"

स्थानीय पहल और सक्रिय सहभागिता

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस संवाद में भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि किस तरह वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में समाज को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
कुछ वक्ताओं ने गांव-स्तर पर सामाजिक मेलजोल को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया और जन संवाद जैसे कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित करने का सुझाव रखा।

सुझाव और प्रस्ताव

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों के बीच मुक्त विचार-विमर्श हुआ, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए:

  • हर माह सामाजिक समरसता पर जन संवाद आयोजित किया जाए।

  • सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को एक मंच पर लाया जाए।

  • युवाओं को समरसता अभियान का नेतृत्व सौंपा जाए, जिससे आने वाली पीढ़ी सामाजिक एकता की भावना को आत्मसात कर सके।