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Shimla  सीपीआरआई शिमला ने आलू से बनाई जलेबी
 

 

हिमाचल प्रदेश न्यूज़ डेस्क सीपीआरआई के वैज्ञानिकों ने देश में उगाए जाने वाले किसी भी प्रकार के आलू का उपयोग करके जलेबी बनाने का तरीका खोज लिया है। बाजार में मिलने वाले आटे की जलेबी को ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। इसे 24 घंटों के भीतर उपयोग करने की अनुशंसा की जाती है

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला के वैज्ञानिकों ने एक स्वादिष्ट और कुरकुरी आलू जलेबी विकसित की है। अब तक सिर्फ आलू के चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, कुकीज और ओटमील ही बनते थे, लेकिन अब उपभोक्ताओं को खाने में स्वादिष्ट आलू और कुरकुरे जलेबी भी मिल जाएंगे. इस आलू जलेबी का स्वाद आठ महीने तक खराब नहीं होता है और इसे चाशनी में डुबाकर इसका आनंद लिया जा सकता है. सीपीआरआई के वैज्ञानिकों ने देश में उगाए जाने वाले किसी भी प्रकार के आलू का उपयोग करके जलेबी बनाने का तरीका खोज लिया है।

बाजार में मिलने वाले आटे की जलेबी को ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। इसे 24 घंटों के भीतर उपयोग करने की अनुशंसा की जाती है। नहीं तो जलेब के आटे का स्वाद बिगड़ जाता है और उसकी सेहत पर विपरीत असर पड़ता है. आलू जलेबी में यह समस्या नहीं होती है और इसे आठ महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका स्वाद और चपलता कोई मायने नहीं रखता।

शिमला न्यूज़ डेस्क