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रणथंभौर टाइगर रिजर्व ने फिर बनाया बड़ा रिकॉर्ड, वीडियो में देखें बना सबसे घनी बाघ आबादी वाला टाइगर रिजर्व 

 

भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में अपनी बाघों की विरासत के लिए मशहूर रणथंभौर टाइगर रिजर्व ने एक और बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। अब रणथंभौर देश का सबसे घनी टाइगर आबादी वाला टाइगर रिजर्व बन गया है। बाघों की बढ़ती संख्या और संरक्षण प्रयासों की सफलता ने इसे न सिर्फ राजस्थान का गौरव बनाया है, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल भी पेश की है।

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रणथंभौर में बाघों की कुल संख्या

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वर्तमान में कुल 66 बाघों की आबादी है। इनमें 23 नर बाघ, 25 बाघिनें और 18 शावक शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि रणथंभौर की कुल बाघ आबादी में से करीब एक चौथाई संख्या शावकों की है, जो इस बात का संकेत है कि यहां का इकोसिस्टम बाघों के लिए बेहद अनुकूल बना हुआ है। शावकों की यह संख्या बाघों के सुरक्षित भविष्य और बढ़ती प्रजनन दर का प्रमाण भी है।

क्यों है रणथंभौर खास?

रणथंभौर टाइगर रिजर्व न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत में बाघों के संरक्षण के लिए जाना जाता है। यहां की भौगोलिक स्थिति, जंगल का घना विस्तार और पानी के भरपूर स्रोत इसे बाघों के लिए आदर्श निवास स्थल बनाते हैं। इसके अलावा, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा किए गए संरक्षण प्रयास, एंटी-पोचिंग ऑपरेशन और लगातार निगरानी ने बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

पर्यटन और रणथंभौर की पहचान

रणथंभौर टाइगर रिजर्व सवाई माधोपुर जिले में स्थित है और यह दुनियाभर के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स और पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। यहां बाघों का दिन में खुलेआम दिखाई देना आम बात है, जिससे इसे भारत का बेस्ट टाइगर साइटिंग डेस्टिनेशन माना जाता है। बाघों की बढ़ती संख्या से टूरिज्म को भी नया जीवन मिला है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।

वन विभाग की बड़ी उपलब्धि

वन विभाग और रणथंभौर प्रशासन के मुताबिक, यह उपलब्धि संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। गश्त को बढ़ाया गया, कैमरा ट्रैप से निगरानी की व्यवस्था मजबूत की गई और शिकारियों पर सख्त कार्रवाई की गई। इसके साथ ही, बाघों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने के लिए विशेष योजना भी लागू की गई, जिसका सकारात्मक असर अब साफ दिख रहा है।

आगे की चुनौती

हालांकि बाघों की बढ़ती संख्या वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुशी की बात है, लेकिन यह भी जरूरी है कि बाघों के लिए पर्याप्त क्षेत्र और प्रजनन के सुरक्षित स्थान बनाए रखें। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते बाघों के लिए नया कॉरिडोर और अतिरिक्त क्षेत्र विकसित नहीं किया गया, तो यह घनत्व भविष्य में संघर्ष और मानव-पशु टकराव का कारण बन सकता है।

फिलहाल, रणथंभौर टाइगर रिजर्व की यह उपलब्धि न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के वन्यजीव संरक्षण मिशन के लिए प्रेरणा देने वाली है। यहां की कामयाबी अन्य राज्यों और टाइगर रिजर्व के लिए भी एक आदर्श मॉडल के रूप में देखी जा रही है।