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Patna  मंजूरी: नालंदा में खुलेगी फॉरेंसिक साइंस लैब

 

बिहार न्यूज़ डेस्क अब पीड़ितों को न्याय पाने के लिए गवाहों पर मोहताज नहीं रहना पड़ेगा. गवाहों के मुकरने अथवा विपक्षी के पाले में चले जाने पर भी मिलने वाले फैसले पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा. कारण यह कि पुलिसिया अनुसंधान सिर्फ गवाहों के बयान पर निर्भर नहीं होगा. बल्कि, पुलिस को वैज्ञानिक साक्ष्य भी जुटाने होंगे. यही कारण है कि सटीक अनुसंधान के उद्देश्य से नालंदा पुलिस लाइन समेत सूबे के सभी जिलों में आपराधिक जांच विज्ञान प्रयोगशाला (फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री) की स्थापना की सरकार ने मंजूरी दी है.

अब सभी मामलों के निपटारे के लिए पुलिस को वैज्ञानिक साक्ष्य पेश करने होंगे. जबकि, सात साल अथवा इससे अधिक सजा वाले अपराधों में वैज्ञानिक साक्ष्य अति आवश्यक होंगे. यही साक्ष्य फैसले के मूल आधार बनेंगे. एसपी अशोक मिश्रा ने बताया कि किसी भी घटना की पहली सूचना देने के लिए अब लोगों की स्थानीय पुलिस पर से निर्भरता घटेगी. वहीं दूसरी ओर, 112 नंबर की पुलिस टीम की जिम्मेवारी बढ़ेगी.

ऐसे में थाने की पुलिस अनुसंधान में अधिक समय दे पाएगी. कम समय में अधिक मामलों के निपटारे और सत्य के अधिक करीब जाने के उद्देश्य से पुलिस महकमा ने कई अहम निर्णय लिये हैं. सभी अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप दिया जाएगा. ताकि, किसी मामले की डायरी लिखने में लगने वाले समय को कम किया जा सके. वहीं, बेहतर तस्वीर लेने वाले कैमरों से लैस एंड्रायड मोबाइल दिये जाएंगे. ये साक्ष्य स्थायी रूप से संजोये जा सकेंगे. घटनास्थल पर जाने के बाद कागज-कलम की मदद से घंटों पूछताछ व लिखने की प्रक्रिया से पुलिस को निजात मिलेगी.

मोबाइल से ली जाने वाली तस्वीर में अक्षांश व देशांतर रेखाओं की मदद से लोकेशन भी अंकित हो जाएगा. ऐसे में लंबी अवधि गुजरने के बाद भी घटनास्थल में गलत तरीके से बदलाव करना नामूमकिन होगा.

डिजिटल साक्ष्यों के बढ़ेगी महत्ता :

किसी घटना अथवा हादसे पर पहुंचने वाली टीम द्वारा एकत्रित साक्ष्य दो रूपों में होंगे-मैनुअल और डिजिटल. पहले डिजिटल साक्ष्यों की महत्ता कम दी जाती थी. लेकिन, अपराध के बढ़ते दायरे और समाज में इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के बढ़ते उपयोग के कारण डिजिटल साक्ष्यों की महत्ता बढ़ी है.

ऐसे में पुलिसिया अनुसंधान में भी इन साक्ष्यों को पहले की अपेक्षा अधिक तवज्जो दी जाएगी. उन्होंने बताया कि एक  से लागू होने वाले तीन नये कानूनों समेत नई रणनीति की जानकारी देने के लिए नालंदा जिले के 800 पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गयी है, ताकि समन्वय बनाने में कोई परेशानी नहीं हो.

 

 

पटना  न्यूज़ डेस्क