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Nagour  तीन गुणा पेंडेंसी पर आईजी बोले-पहले वारदातें सुलझाओ, फिर से करेंगे रिव्यू

 

राजस्थान न्यूज़ डेस्क  साइबर अपराध को रोकना पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज हो गया है। विदेशों से संबंधित कंपनियों की सूचनाएं समय पर नहीं मिल पाती हैं। इसके चलते अपराधियों को फरार होने का समय मिल जाता है। कई बार विदेशों से जानकारियां दो-चार दिन के बाद मिलती हैं, जिससे कोई फायदा नहीं निकलता है। यह बात अजमेर रेंज आईजीपी एस. सेंगाथिर ने कही है। वे बुधवार को यहां एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे।
तय मानकों के अनुसार 10% हो सकती है पेंडेंसी
अभी नागौर जिले में मुकदमों की पेंडेंसी बहुत हैं। पीएचक्यू के मानकों के अनुसार पेंडेंसी 10 प्रतिशत तक होनी चाहिए, लेकिन यहां नागौर में 30 प्रतिशत तक पेंडेंसी हैं। आईजी ने कहा कि जिले के अधिकारियों ने 30 नवंबर तक पेंडेंसी कम करने का बोला गया है। इसके बाद 15 दिसंबर को वापस रिव्यू किया जाएगा। इसके अलावा कोर्ट में भी चालान व एफआर प्रस्तुत नहीं हो रहे हैं। बैंक लूट से लेकर लेकर चोरियों की कई वारदातें हैं जिनके खुलासे में पुलिस पूरी तरह फेल रही है, जिससे लोगों में पुलिस के प्रति असंतोष की भावना भी पैदा हुई है। जब यह बात आईजी तक पहुंची तो उन्होंने अब अनसुलझी वारदातों पर जोर दिया है।
लंबित प्रकरणों के निस्तारण पर जोर, 30 % तक है पेंडेंसी
आईजी ने एसपी आफिस में पुलिस अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें उन्होंने लंबित प्रकरणों के निस्तारण कर माल बरामद करने की खास हिदायत दी। साथ ही कहा कि एक साल से अधिक व दो माह पुराने प्रकरणों का निस्तारण हर हाल में होना चाहिए। फायरिंग तथा नकबजनियों का खास तौर से खुलासे के निर्देश दिए हैं।
नागौर न्यूज़ डेस्क