Muzaffarpur अभियान में पिछड़े, आधे से भी कम बच्चों को मिली दवा
बिहार न्यूज़ डेस्क सूबे में शुरू हुआ स्टॉप डायरिया अभियान फिसड्डी साबित हो रहा है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक महीने की समीक्षा रिपोर्ट में पूरे बिहार में इस अभियान में 38 प्रतिशत बच्चों को ही ओआरएस और जिंक की गोली दी गई है. मुजफ्फरपुर में यह आंकड़ा 41 प्रतिशत है.
स्टॉप डायरिया अभियान में नवादा पूरे राज्य में अव्वल है. यहां 93 प्रतिशत बच्चों को दवा दी गई है. बेगूसराय में सिर्फ 9 प्रतिशत ही दवा इस अभियान के तहत बांटी गई है. राज्य स्वास्थ्य मुख्यालय ने तक की रिपोर्ट जारी की है. यह अभियान 22 सितंबर तक चलाया जाना है. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसके पांडेय ने बताया कि अभियान के तहत दवा बंट रही है. अनुमान है कि जिले में 92 प्रतिशत दवा का किया जायेगा.
जिलों में समय से नहीं पहुंचा ओआरएस और जिंक स्टॉप डायरिया अभियान चलाने की घोषणा स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई के पहले सप्ताह में कर दी थी, लेकिन जिले में तय समय पर यह अभियान शुरू नहीं हो सका. 23 की जगह 27 जुलाई से जिले में यह अभियान शुरू किया गया. सूत्रों ने बताया कि मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में अभियान के लिए ओआरएस और जिंक की गोली समय पर नहीं आई, जिससे अभियान शुरू होने में दिक्कत हुई. समय पर अभियान नहीं चलने से इसकी सफलता का प्रतिशत भी कम है. डीआईओ का कहना है कि ग्रामीण एएनएम की हड़ताल की वजह से इस अभियान पर असर पड़ा है.
डायरिया पीड़ित 372 बच्चे हुए भर्ती
मुजफ्फरपुर जिले में इस वर्ष 1 जनवरी से 30 जून तक 372 बच्चे डायरिया से पीड़ित हुए. इन बच्चों को सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले दिनों भी मेडिकल कॉलेज में डायरिया पीड़ित कई बच्चों को भर्ती कराया गया था. बरसात बढ़ने पर भी अस्पतालों में डायरिया के मरीज पहुंच रहे हैं.
बच्चों में बांटी जानी थी ओआरएस और जिंक
मुहिम के तहत झुग्गी-झोपड़ी और सुदूर इलाके में रहने वाले बच्चों में ओआरएस और जिंक की दवा बांटी जानी थी. राज्य के 1 करोड़ 81 लाख बच्चों में दवाएं बांटी जानी थी. मुजफ्फरपुर में आठ लाख बच्चों में 10 लाख ओआरएस के पैकेट बांटे जाने थे, लेकिन अबतक सिर्फ 3.28 लाख बच्चों तक ही ओआरएस और जिंक की दवा पहुंची है.
मुजफ्फरपुर न्यूज़ डेस्क