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Meerut  कहीं वेंटिलेटर बंद तो कहीं इंतजार में दम तोड़ रहे मरीज

 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  लखनऊ शहर के सरकारी अस्पतालों में 100 से अधिक वेंटिलेटर हैं, लेकिन ज्यादातर खाली पड़े रहते हैं. इन वेंटिलेटर का मरीजों को कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं, केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई जैसे चिकित्सा संस्थानों में वेंटिलेटर पर मरीज भर्ती होने के लिए मारामारी मची रहती है. यहां सर्वाधिक मरीज गंभीर हालत में दूसरे जिलों से आते हैं.

चिकित्सा संस्थानों में वेंटिलेटर न मिलने से रोजाना मरीजों की सांसें थम रही हैं. सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर का इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा है. स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि वेंटिलेटर के लिए डॉक्टर और स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया है. वेंटिलेटर पर मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है. इस समय करीब 75 से अधिक वेंटिलेटर पीजीआई, लोहिया, लोकबंधु, राम सागर मिश्र अस्पताल में बंद पड़े हैं. इनमें ज्यादातर वेंटिलेटर कोविडकाल में लगाए गए थे.

हाईकोर्ट ने मांगा वेंटिलेटर का ब्योरा

 

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने  जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के सभी सरकारी जिला अस्पतालों, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध वेंटिलेटर्स का ब्योरा तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दाखिल कर उसमें स्पष्ट किया जाए कि उनमें कितने वेंटिलेटर्स काम कर रहे हैं और कितने नॉन फंक्शनल हैं. मामले की अगली सुनवाई  सप्ताह बाद होगी.

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने वी द पीपल संस्था की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया है. इसके पहले एसजीपीजीआई की ओर से जानकारी देते हुए बताया गया कि उनके पास 386 वेंटिलेटर्स हैं, जिनमें 365 काम कर रहे हैं. बाकी के 21 वेंटिलेटर्स बैक अप के तौर पर रखे हैं. केजीएमयू की ओर से जानकारी दी गई कि उनके पास 394 वेंटिलेटर्स हैं, जिनमें 393 काम कर रहे हैं, जबकि  का रिपेयर वर्क चल रहा है.

 

मेरठ न्यूज़ डेस्क