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Meerut  पीएफआई ने हिंसा के लिए बनाया था कंट्रोल रूम
 

 


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  पीएफआई ने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के विरोध में 2019 में हिंसा की प्लानिंग की थी. वेस्ट यूपी में हिंसा के लिए मेरठ को कंट्रोल रूम बनाया था. यहां से पीएफआई ने आसपास के तमाम जिलों में हथियार और भड़काऊ सामग्री भेजी थी. मेरठ में हिंसा के बाद खुफिया एजेंसियों और पुलिस ने पीएफआई के 47 सदस्यों की गिरफ्तारी की थी. मेरठ में 21 सदस्यों और पदाधिकारियों को जेल भेजा गया था. फंडिंग का भी खुलासा अधिकारियों ने किया था.
सीएए का विरोध करने के लिए पीएफआई ने एसडीपीआई के साथ मिलकर दिसंबर 2019 में यूपी समेत कई राज्यों में हिंसा की प्लानिंग की थी. मेरठ में 20 दिसंबर 2019 को उपद्रव हुआ था. इस दौरान छह लोगों की गोली लगने से मौत हुई थी. इस मामले में पुलिस की ओर से मुकदमे दर्ज किए गए थे.

पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि पीएफआई ने एसडीपीआई के साथ मिलकर हिंसा की प्लानिंग की और मेरठ में कंट्रोल रूम बनाया था. पीएफआई के पदाधिकारियों ने अक्तूबर-नवंबर 2019 में भड़काऊ सामग्री बांटी और लोगों को हथियार मुहैया कराए. फंडिंग के जरिये कुछ रकम भी मंगवाई गई और इन्हें अपने गुर्गों में बांटकर उपद्रव कराया. मेरठ एटीएस और एसटीएफ ने मेरठ जोन से कुल 47 पीएफआई सदस्यों की गिरफ्तारी की गई.
मेरठ एडीजी ने शासन को भेजी थी रिपोर्ट हिंसा में पीएफआई की भूमिका को लेकर मेरठ के तत्कालीन एडीजी प्रशांत कुमार ने शासन को रिपोर्ट भेजी थी. इसी रिपोर्ट में पीएफआई को यूपी में प्रतिबंधित करने की सिफारिश की गई थी. इसी रिपोर्ट को शासन ने केंद्र सरकार को भेजते हुए यूपी में पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई.


मेरठ न्यूज़ डेस्क