कोटा में शिक्षा मंत्री का औचक निरीक्षण, सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं पर जताया गहरा रो
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने गुरुवार को कोटा शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का मकसद था कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्थाओं का जायजा लिया जा सके। निरीक्षण के दौरान मंत्री ने कई स्कूलों में बेतरतीब व्यवस्थाओं और शिक्षकों की लापरवाही को देखकर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
विशेष रूप से ब्रजराजपुरा के एक सरकारी स्कूल में निरीक्षण के दौरान कई कमियाँ सामने आईं। स्कूल के कक्षाओं की साफ-सफाई नहीं थी, शिक्षण सामग्री अधूरी और पुरानी हालत में रखी हुई थी, और कई शिक्षक समय पर नहीं दिखाई दिए। इस दौरान छात्रों की उपस्थिति भी कम देखी गई, जिससे शिक्षा विभाग की गंभीर पोल खुल गई।
मंत्री मदन दिलावर ने मौके पर कहा कि “शिक्षा हमारे समाज की रीढ़ है और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि शिक्षक और प्रशासन इस दिशा में गंभीर नहीं हुए, तो इसका नुकसान सीधे छात्रों को होगा। इस तरह की लापरवाही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा विभाग को सुनिश्चित करना होगा कि सभी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति हो, कक्षाओं की साफ-सफाई बनी रहे, और बच्चों को पढ़ाई के लिए उचित माहौल मिले। मंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि अगले दो हफ्तों में सभी स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार कर रिपोर्ट सौंपनी होगी।
मंत्री के निरीक्षण के दौरान कई ग्रामीण स्कूलों में भी व्यवस्थाओं की गंभीर कमी देखी गई। कुछ स्कूलों में कक्षाओं में बैठने के लिए पर्याप्त बेंच और कुर्सियां नहीं थीं, शौचालय और पेयजल की सुविधाएं अधूरी थीं। कुछ स्कूलों में प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण सामग्री का अभाव भी देखा गया।
शिक्षकों की लापरवाही को लेकर मंत्री ने कहा कि यदि कोई शिक्षक अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग बच्चों की भलाई के लिए किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं करेगा।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के औचक निरीक्षण से स्कूलों में सुधार की प्रक्रिया तेज हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि केवल निरीक्षण करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि लगातार निगरानी और रिपोर्टिंग की प्रणाली भी मजबूत करनी होगी।
इस निरीक्षण के दौरान मंत्री ने बच्चों से भी बातचीत की और उनसे उनकी पढ़ाई और स्कूल की सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। छात्रों ने भी कई समस्याओं का उल्लेख किया, जिसमें पुस्तकें समय पर न मिलना, खेलकूद की कमी और शिक्षक उपस्थित न होना शामिल था।
मंत्री दिलावर का यह कदम शिक्षा विभाग में पारदर्शिता लाने और सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अधिकारी और शिक्षक अब शिक्षा मंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए जल्द से जल्द सुधारात्मक कदम उठाने की प्रक्रिया में जुट गए हैं।