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करौली नगर परिषद की निलंबित सभापति रशीदा खातून को हाईकोर्ट ने दिया झटका, फुटेज में देखें याचिका खारिज कर दिए जांच के आदेश

 

राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली नगर परिषद की निलंबित सभापति रशीदा खातून को तगड़ा झटका देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए साफ किया कि इस चरण में याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि रशीदा खातून के खिलाफ चल रही न्यायिक जांच तीन माह के भीतर पूरी की जाए।

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रशीदा खातून ने अपने निलंबन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि सरकार द्वारा किया गया निलंबन अनुचित और राजनीतिक रूप से प्रेरित है। उन्होंने मांग की थी कि जांच लंबित होने तक उन्हें पद पर बहाल किया जाए। लेकिन अदालत ने याचिका को योग्य आधार नहीं मानते हुए खारिज कर दिया।

न्यायिक जांच तीन माह में पूरी करने का निर्देश

कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई न्यायिक जांच प्रक्रिया उचित है, और उसे तीन महीने के भीतर पूर्ण किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि जांच की निष्पक्षता और समयबद्धता सुनिश्चित की जाए ताकि किसी भी पक्ष को अनावश्यक नुकसान न हो।

क्या है मामला?

रशीदा खातून पर नगर परिषद करौली में कार्यकाल के दौरान वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगे थे। इन आरोपों के आधार पर राजस्थान सरकार ने उन्हें पद से निलंबित कर दिया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिका में उन्होंने अपने निलंबन को असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण करार दिया था।

अब आगे क्या?

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब राज्य सरकार पर यह जिम्मेदारी है कि वह जांच प्रक्रिया को तेजी से अंजाम देकर तीन महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करे। अगर जांच में रशीदा खातून निर्दोष पाई जाती हैं, तो उन्हें कानूनी राहत मिलने की संभावना हो सकती है। वहीं, आरोप साबित होने पर उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।