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Kanpur  पटरियों पर चल खदानों से कोयला खींच लाएगा रोबोट

 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  खदानों से कोयला बाहर निकालने का काम मजदूर या ट्रकों की जगह जल्द ही रोबोट करने लगेंगे. यह रोबोट खदान तक बिछे पाइप में ट्रेन जैसी पटरियों पर चलेंगे. इन्हें कोयला ढोने के लिए किसी अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत नहीं होगी. यह रोबोट घर्षण से पैदा हुई ऊर्जा को ही इस्तेमाल कर कोयला ढोएंगे. आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने हाइपरलूप परिवहन प्रणाली विकसित कर रोबोट के कोयला ढोने की राह प्रशस्त कर दी है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस तकनीक का इस्तेमाल अधिक से अधिक कंपनियां कर सकें, इसके लिए संस्थान ने तकनीकी स्थानांतरण की अनुमति भी प्रदान कर दी है. तकनीक का पेटेंट संस्थान को पहले ही मिल चुका है. आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिशाख भट्टाचार्य की देखरेख में कन्हैयालाल चौरसिया व यशस्वी सिन्हा ने रोबोट वाहन के साथ हाइपरलूप परिवहन प्रणाली विकसित की है.

हाइपरलूप परिवहन तकनीक में पाइपलाइन नेटवर्क तैयार हुआ है. इसके अंदर ट्रेन की पटरियों की तरह रेल बिछाई गई है. रोबोट इसी रेल नेटवर्क पर चलेगा. पाइप का रेल आधारित डिजाइन कार्गो पहियों में घर्षण को कम करता है और इसी घर्षण की ऊर्जा से रोबोट को गति मिलती है.

रोबोट निगरानी में सक्षम

प्रणाली विकसित करने वाले वैज्ञानिक कन्हैया ने बताया कि यह पूरा सिस्टम खदान से कोयले का परिवहन करने के साथ पाइपलाइन की निगरानी करने में भी सक्षम है. रोबोट में लगे सेंसर पाइपलाइन की रियल टाइम मॉनीटरिंग व रिपोर्टिंग भी करते हैं.

आईआईटी में सफल ट्रायल

वैज्ञानिकों ने आईआईटी में ट्रायल को एक पाइपलाइन का मॉडल तैयार किया था. इसमें रोबोट का छोटा स्वरूप विकसित कर पाइपलाइन से सामान का परिवहन कराया गया. ट्रायल में हाइपरलूप परिवहन प्रणाली पूरी तरह सफल रही.

सबसे खतरनाक खनन

कोयला खदानों में काम को दुनिया के सबसे खतरनाक कामों में एक माना जाता है. भारत में सबसे बड़ी खदान दुर्घटना चासनाला खनन आपदा 1975 में धनबाद के पास हुई थी. इसमें 0 से ज्यादा मजदूर मारे गए थे.

 

 

कानपूर न्यूज़ डेस्क